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दिल्ली हिंसा: हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई के लिए याचिका, दिल्ली HC ने किया खारिज

26 जनवरी की हिंसा के मामले में हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ने की मांग वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने पब्लिसिटी स्टंट लिटिगेशन करार दिया है.

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26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में अलग-अलग जगह हिंसा हुई थी (फोटो-PTI)
26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में अलग-अलग जगह हिंसा हुई थी (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • HC ने याचिका को बताया पब्लिसिटी स्टंट लिटिगेशन
  • जांच एजेंसी को नोटिस जारी करने से HC का इनकार

26 जनवरी की हिंसा के मामले में हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ने की मांग वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने पब्लिसिटी स्टंट लिटिगेशन करार दिया है. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इंटेंशन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आप कह रहे हैं कि आप 15 उन परिवारों से मिले हैं, जिनके लोग लापता हैं, क्या उन 15 लोगों के एफिडेविट आपने याचिका में लगाए हैं?

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हम इस तरह की याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते, जिसमें यही साफ नहीं है कि एफआईआर किन धाराओं में दर्ज की गई है और गिरफ्तारी का आधार क्या है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि इस मामले में हम जांच एजेंसी को नोटिस जारी नहीं करेंगे, लेकिन जांच एजेंसी को निर्देश देंगे कि समय से अपनी जांच पूरी करें. कोर्ट ने इस याचिका को डिस्पोज ऑफ कर दिया है.

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि 26 जनवरी और उसके बाद दिल्ली में जिन लोगों को भी गैरकानूनी रूप से पुलिस ने डिटेन करके रखा है, उनकी तुरंत रिहाई करने का कोर्ट आदेश करे.

याचिका में कहा गया है कि 26 जनवरी और उसके बाद टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और सिंधु बॉर्डर से पुलिस के द्वारा बहुत सारे लोगों को उठाकर डिटेन कर लिया गया है, जो पूरी तरह से गैर कानूनी है. किसी भी व्यक्ति को अगर पुलिस गिरफ्तार करती है तो 24 घंटे के भीतर उसे कोर्ट के सामने पेश करना होता है.

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याचिका में कहा गया कि बहुत सारे लोग अभी भी डिटेन किए गए हैं, उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, ऐसे में कोर्ट की तरफ से निर्देश दिया जाए कि पुलिस गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिए गए लोगों को तुरंत रिहा करे. 

याचिका में कहा गया है कि किसानों के अलावा प्रदर्शन कर रहे कई एक्टिवेट पत्रकार और आम लोगों को भी 26 जनवरी और 27 जनवरी के द्वारा पुलिस ने प्रदर्शन स्थल से उठा लिया था. याचिका में दावा किया गया है कि 200 से ऊपर ऐसे लोग है,  जिनके बारे में अभी भी जानकारी नहीं है कि वह प्रदर्शन के बाद कहां हैं, ऐसे में इस याचिका को उन सभी लोगों की तरफ से कोर्ट में उनकी रिहाई के लिए लगाई याचिका के तौर पर ही देखा जाए.

 

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