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CAA: हवन-गुरुवाणी के बाद शाहीन बाग में इस पोस्टर पर टिकी लोगों की नजरें

शाहीन बाग में सीएए वापस लेने को लेकर चल रहे प्रदर्शन बीच पोस्टर का अनोखा नजारा भी खूब देखने को मिल रहा है. हवन के बाद से ही शाहीन बाग में अलग तरह के पोस्टर देखने को मिल रहे हैं.

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शाहीन बाग में पोस्टर का नजारा (Photo- Aajtak)
शाहीन बाग में पोस्टर का नजारा (Photo- Aajtak)

  • शाहीन बाग में प्रदर्शन के बीच पोस्टर का नजारा
  • विभिन्न धर्मों से जुड़े पोस्टर के साथ विरोध जारी
शाहीन बाग में CAA के विरोध में चल रहे विरोध-प्रदर्शन को अब दो महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है. इस प्रदर्शन का मोर्चा मुस्लिम महिलाओं ने संभाला रखा है, जिनका हौसला कड़कड़ाती ठंड से लेकर बारिश भी डिगा नहीं पाई. उनका साफ कहना है कि जब तक सीएए को वापस नहीं लिया जाता, तब तक विरोध-प्रदर्शन खत्म नहीं होगा. इस दो टूक जवाब ने पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती खड़ी कर दी है. चूंकि धरना प्रदर्शन मुस्लिम बहुल क्षेत्र शाहीन बाग में चल रहा है और इसका नेतृत्व मुस्लिम महिलाएं ही कर रही हैं, इसलिए कानून को एक खास धर्म के विरोध से भी जोड़कर देखा गया.

अलग-अलग वर्गों का समर्थन

लेकिन जैसे-जैसे प्रदर्शन के दिन बीतते गए, शाहीन बाग में सांप्रदायिक सौहार्द्र की अलग तस्वीर दिखने लगी.  CAA को लेकर इस विरोध प्रदर्शन को समाज के विभिन्न वर्गों का समर्थन मिला. शाहीन बाग में अब एक खास पोस्टर नजर आ रहा है, जिस पर सभी लोगों की निगाहें टिक गई हैं. इस पोस्टर पर लिखा है यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता. इसका मतलब है कि जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवी-देवता वास करते हैं.

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इससे पहले विभिन्न धर्मों हिंदू, सिख, ईसाई को मानने वाले लोग 'सर्व धर्म समभाव कार्यक्रम' में जुटे थे. इस दौरान शाहीन बाग में हवन किया गया और सिख धर्म के अनुयायियों ने 'कीर्तन' किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और इस बात का संकल्प लिया कि वो संविधान की समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा करेंगे. गीता, बाइबल, कुरान के अलावा गुरुवाणी का पाठ किया गया. इसके बाद से ही शाहीन बाग प्रदर्शन में विभिन्न धर्मों से जुड़े पोस्टर नजर आने लगे.

shaheen-bagh-protest_022120060817.jpegशाहीन बाग का पोस्टर

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए वार्ताकारों को नियुक्त किया है, ताकि उस सड़क को खुलवाया जा सके. लेकिन तीसरे दिन भी तीन वार्ताकारों में से दो वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन शाहीन बाग पहुंचे, लेकिन वार्ता की सभी कोशिशें नाकाम साबित हुईं. अब ये वार्ताकार अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे. इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शन करना अधिकार है, लेकिन प्रदर्शनकारी अनंतकाल तक सड़क बंद नहीं रख सकते.

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