शाहीन बाग में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त वार्ताकारों की प्रदर्शनकारियों से दो राउंड की बातचीत बेनतीजा साबित हुई है.आज एक बार फिर वार्ताकार प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत करने पहुंचेंगे. देखना होगा कि 69 दिनों से जारी धरना-प्रदर्शन का दौर आज खत्म हो पाएगा. आज 10-15 प्रदर्शकारियों के अलग-अलग समूह से वार्ताकार बात कर सकते हैं.
आज लगातार तीसरे दिन वार्ताकार संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और वजाहत हबीबुल्लाह शाहीन बाग में आंदोलनकारियों के बीच पहुचेंगे और शाहीन बाग को खुलवाने की कोशिश करेंगे. गुरुवार की बातचीत के बाद वार्ताकारों ने एक वीडियो जारी कर पूरे घटनाक्रम का ब्योरा सामने रखा. पूरी बातचीत में दोनों वार्ताकारों ने आंदोलनकारियों को भरोसा दिलाने की कोशिश की और सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रखने की नसीहत भी दी.
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शाहीन बाग़ में बातचीत का राउंड 2 जारी है #Krantikari (@MinakshiKandwal)
पूरा कार्यक्रम देखें- https://t.co/Z9IuBPEJWn pic.twitter.com/pg2Dn3Y6UQ
— आज तक (@aajtak) February 20, 2020
नाराज हो गई थीं साधना रामचंद्रन
गुरुवार को दूसरे दिन की बातचीत में वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों के सामने इस बात पर जोर दिया कि सड़क खुल जाए और प्रदर्शन भी चलता रहे. शाहीन बाग में ऐसा कोई रास्ता निकाला जाए. बीते दिन काफी देर तक आंदोलनकारियों और वार्ताकारों के बीच बातचीत का सिलसिला चलता रहा. अंत में जब कोई नतीजा निकलता नहीं दिखा तो बात करने लायक माहौल ना होने की बात कहकर साधना रामचंद्रन नाराज हो गईं.
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सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रखने की नसीहत
वहीं, संजय हेगड़े ने कहा कि हम क्या कह रहे हैं. आप ये कह रहे हैं कि अगर आप यहां से निकले तो और कोई नहीं आएगा सुनवाई के लिए. यही तो डर है ना कि कोई नहीं आएगा सुनने वाला. आज जब तक सुप्रीम कोर्ट है. आपकी सुनवाई कोई नहीं रोक सकता. आपके लिए आपकी तरफ से हम बहुत सारे वकील हैं, जो कोर्ट में आपकी बात बहुत बुलंद तरीके से रखेंगे. पर ये नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट सुन नहीं रही है. हम यही देखने आए हैं कि कुछ हल निकले. आपकी तरफ से निकले. आपकी सहमति से निकले.
69 दिन से चल रहा है धरना
69 दिन से शाहीन बाग का धरना चल रहा है. इस धरने के बहाने नेताओं ने सियासी फायदा भी उठाया, लेकिन प्रदर्शनकारियों के हिस्से मायूसी के सिवा कुछ नहीं आई. सरकार का इरादा साफ है तो उधर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी भी अड़े हैं. इस सबके बीच घंटों की जद्दोजहद के बाद वार्ताकारों ने दो टूक कह दिया कि ऐसे सामूहिक रूप से बातचीत मुमकिन नहीं.