दिल्ली के रोहिणी स्थित प्रशांत विहार में बम ब्लास्ट की घटना ने त्योहार के सीजन में चिंता बढ़ा दी है. धमाका इतना तेज था कि इसकी आवाज दो किलोमीटर दूर तक सुनाई दी है, लेकिन इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ. घटनास्थल से 'व्हाइट पाउडर' बरामद किया गया है, और जांच के लिए पहुंची जांच एजेंसियों ने इस धमाके को 'मिस्टीरियस ब्लास्ट' यानी 'रहस्यमयी धमाका' करार दिया है.
जांच एजेंसियों ने धमाके को इसलिए 'मिस्टीरियस ब्लास्ट' कहा है, क्योंकि मौके से किसी तरह का टाइमर, डेटोनेटर या कोई मेटल या फिर कोई इनेक्ट्रॉनिक डिवाइस नहीं मिला है. अब सवाल ये है कि फिर विस्फोटक में ऐसा क्या ट्रिगर हुआ कि जोरदार धमाका हुआ? इसकी जांच की जा रही है.
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ब्लास्ट में किस विस्फोटक का हुआ इस्तेमाल?
जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश में है कि ब्लास्ट के लिए किस तरह के विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था. इसकी फॉरेंसिंक जांच की जा रही है और रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा कि आखिर धमाके के लिए किस विस्फोटक का यूज किया गया था.
CCTV फुटेज की हो रही जांच
दिल्ली पुलिस ब्लास्ट साइट के आस-पास के कई किलोमीटर तक के CCTV फुटेज को खंगाल रही है, जिससे जानकारी मिल सके कि बम किसने रखा था. ब्लास्ट के आस-पास का मोबाइल का डंप डेटा भी कलेक्ट किया जा रहा है, जिसके जरिए ब्लास्ट पर संदिग्ध फोन नंबर जो एक्टिव थे उसका पता लगाया जा सके.
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रोहिणी में हुआ तेज धमाका
गौरतलब है कि, रविवार को दिल्ली के रोहिणी के प्रशांत विहार में स्थित एक सीआरपीएफ स्कूल के बाहर दीवार के पास यह धमाका हुआ. इससे पूरे इलाके में धुआं फैल गया. धमाके की आवाज दो किलोमीटर के एरिया में सुनाई दी. धमाके का वीडियो भी सामने आया, जिसमें देखा गया कि कैसे पहले बम ट्रिगर हुआ, धुआं उठा और फिर तेज धमाका हो गया. इस धमाके से ऐसा शॉकवेव हुआ कि आसपास के घरों के शीशे चकनाचूर हो गए.
एनआईए-एनएसजी की टीम मौके पर पहुंची
एनआईए टीम और एनएसजी के कमांडो उस स्थान पर पहुंच गए हैं, जहां विस्फोट हुआ था. इनके अलावा, स्कूल के पास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और सबूतों की तलाश के लिए स्निफर डॉग्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. जांच के सिलसिले में क्राइम टीम, एफएसएल टीम, बीडीटी टीम, एनएसजी टीम, एनआईए टीम, सीआरपीएफ टीम और एनडीआरएफ टीम ने मौके का दौरा किया है.
विस्फोट से जुड़े सुराग का पता लगाने के लिए टेलीग्राम समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जांच की जा रही है. एजेंसियां मान रही हैं कि आतंकवादी आतंकी हमलों से पहले इस तरह के प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं. इनके अलावा आसपास के सीसीटीवी भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि दीवार के पास बम रखने वाले का पता लगाया जा सके.