दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते प्रदूषण के चलते अब दिल्ली हाफ मैराथन पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. प्रदूषण के कारण कई एथलीट इस बार मैराथन से हटने का मन बना रहे हैं.
हर साल सर्दियों में दिल्ली पर प्रदूषण के चलते गहरे काले स्मॉग दिल्लीवालों का जीना मुहाल कर देती है. और इस साल तो अभी सर्दिया शुरू होने में काफी समय है पर अभी से ही दिल्ली की आबोहवा बद से बदतर होती जा रही है.
आने वाले दिनों में हालात और भी खराब होने की आशंका है. ऐसे में 21 अक्टूबर को होने वाले एयरटेल हाफ मैराथन में भाग लेने वाले एथलीटों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.
ठोस कदम उठाए सरकार
मेदांता द मेडिसिटी के प्रमुख डॉक्टर त्रेहान का भी यही मानना है कि ऐसे हालात में सुबह के समय शहर पर या दौड़ने जाने वाले लोगों के लिए का कई तरह की दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं. उनका कहना है क्योंकि यह समस्या पिछले 2 सालों से और गंभीर होती दिख रही है तो सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए थे जिसमें वह नाकाम रही है.
उन्होंने आगे कहा कि प्रदूषण से कई तरह की गंभीर बीमारियां लोगों को परेशान कर रही हैं, खासतौर पर इस मौसम में अस्पतालों में सांस संबंधित समस्याओं के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है.
मैराथन की तारीख सही
दिल्ली के जसोला के रहने वाले अनिक पिछले कई सालों से दिल्ली की हाफ मैराथन में हिस्सा ले रहे हैं, लेकिन इस साल 29 अक्टूबर को होने वाली हाफ मैराथन में हिस्सा नहीं लेंगे. हालांकि उनका मानना है कि जो तारीख इस बार मैराथन के लिए तय की गई है वह बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एकदम सही है क्योंकि नवंबर और दिसंबर के महीने में आसपास के राज्यों से फसलों के जलने पर जिस तरह का प्रदूषण दिल्ली की तरफ आता है वह अक्टूबर के महीने में कब होगा इसके साथ ही दिवाली के पटाखे और दिल्ली का अपना प्रदूषण नवंबर दिसंबर के महीने में कई गुना बढ़ जाता है इसी को देखते हुए यह तारीख सही रहेगी.
हालांकि उनका यह भी कहना है कि इस मौसम में उनके जैसे हेल्थ फ्रीक भी सुबह की सैर और कसरत छोड़ देते हैं और घर में ही एक्सरसाइज करते हैं.
अनिक की तरह ही नोएडा के तरुण वाधवा भी बढ़ते प्रदूषण के चलते सुबह की सैर और व्यायाम को सर्दियों में कुछ महीनों के लिए बंद कर देते हैं. तरुण पेशे से एक एडवेंचर स्पोर्ट्स की कंपनी चलाते हैं और अपनी सेहत पर विशेष ध्यान देते हैं.
प्रदूषण के चलते तैयारी अधूरी
वह कई तरह के एडवेंचर बुक करना पसंद करते हैं जिसमें साइकिल की रेस और हाफ मैराथन शामिल है पर इस बार वह इस रेस में हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि उनका मानना है कि उनकी तैयारी बढ़ते प्रदूषण के चलते पूरी नहीं हो पाई है. हाफ मैराथन के लिए जिस तरीके की कसरत चाहिए उसके लिए सुबह शाम खुली हवा में एक्सरसाइज करना बेहद आवश्यक है जो वह अभी नहीं कर पा रहे हैं और उनका कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द इस मसले पर कोई ठोस कदम उठाने चाहिए.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की गंभीर समस्या को पहले भी कई बार पर्यावरणविद विमल इंदु उठाते रहे हैं. उनका कहना है कि इस समस्या के पूर्ण निस्तारण के लिए सरकार की तरफ से जल्द ही ठोस कदम की जरूरत है. आसपास के राज्यों में जिस तरह से फसलों को जलाया जाता है और दिल्ली में सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियों की बढ़ती समस्या दिल्ली एनसीआर में हर दिन बढ़ती फैक्ट्रियां और भी कई तरह की समस्याएं हैं जिन पर सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए जिससे कोई कंक्रीट नतीजे निकाले जा सके.
बढ़ते प्रदूषण ने हाफ मैराथन में हिस्सा लेने वाले लोगों के लिए फसलों ने काफी चोट पहुंचाई है. लोग डर के मारे घरों से बाहर नहीं निकलते हैं जब तक बेहद जरूरी ना हो. अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में मैराथन में दौड़ने वाले लोग ना के बराबर होंगे.
कुल मिलाकर दिल्ली में इस बार भी सर्दियां लोगों को काफी परेशान करेंगी. अक्टूबर के महीने में ही जिस तरीके से दिल्ली एनसीआर में वातावरण दूषित होता नजर आ रहा है उससे डर यही है कि नवंबर और दिसंबर का महीना लोगों पर काफी भारी पड़ेगा और खासतौर पर सांस से जुड़ी समस्याओं के मरीजों के लिए दिल्ली काफी खतरनाक साबित होगी.