दिल्ली बीजेपी के एक बड़े नेता के मुताबिक उन्हें यूपी में पार्टी की जबरदस्त जीत से ज्यादा इस बात की खुशी है कि पंजाब में केजरीवाल बुरी तरह से चुनाव हार गए. यही नहीं पंजाब में कांग्रेस की जबरदस्त जीत भी उनकी खुशी के कारणों में शामिल है. बीजेपी के किसी नेता के मुंह से ऐसी बात सुनकर हैरानी हो सकती है, लेकिन दिल्ली में एमसीडी चुनावों को सामने रख दो, तो बात न सिर्फ समझ में आ जाएगी, बल्कि सियासत के समीकरण भी सुलझने लगेंगे.
दरअसल दिल्ली में अब तक बीजेपी अंदर ही अंदर इस बात से सहमी हुई थी कि दो साल पहले विधानसभा चुनाव में जो करारी हार उसे मिली थी, उसे एमसीडी के चुनावों में कैसे रोक पाएंगे. पांच राज्यों में हुए चुनाव ने दिल्ली बीजेपी के नेताओं के मन से सायक्लोजिकल प्रेशर को रफूचक्कर कर दिया. गणित ऐसा बैठा है कि बीजेपी के दिल्ली वाले नेता बल्ले बल्ले कर रहे हैं.
पंजाब में आम आदमी पार्टी की बड़ी हवा थी. केजरीवाल और उनकी पार्टी के लोग ही नहीं, बल्कि सभी को पार्टी आम आदमी पार्टी की जीत की उम्मीद थी. लेकिन कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत ने न सिर्फ आप के अरमानों पर पानी फेर दिया, बल्कि दिल्ली के चुनावी समीकरणों को कई एंगल से बदल दिया.
पहला तो ये कि पंजाब की हार के बाद दिल्ली में 67 सीट जीतने वाली आम आदमी पार्टी के हौसले पस्त हुए हैं. पंजाब में सरकार बनती, तो न सिर्फ हौसला मिलता बल्कि दिल्ली में भी हवा का रुख आप की तरफ मजबूत ही होता, अब इसके एकदम उलट हो गया है.
दूसरी तरफ बीजेपी को आप की हार से संतुष्टी मिली और यूपी की जीत से हौसला.
तीसरा सबसे अहम पहलू दिल्ली में सड़क पर आ चुकी कांग्रेस को पंजाब से मिली संजीवनी का है. भले ही पंजाब से दिल्ली का कोई सीधा कनेक्शन न हो, लेकिन दिल्ली विधानसभा से गायब हो गई पार्टी के आत्मविश्वास के लिए और कार्यकर्ताओं के हौसले के लिए पंजाब की जीत संजीवनी बन गई.
दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन पंजाब के नतीजों के बाद ही दिल्ली में वोटरों का भरोसा लौटने की बात कह चुके हैं. वहीं दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी आप पर तंज कस दिया है कि दिल्ली के कारनामों का जवाब पंजाब की जनता ने दिया है और दिल्ली की जनता अब सावधान है. हालांकि आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनावों की तैयारी पहले से शुरु कर दी है और उम्मीदवार चयन से लेकर चुनाव प्रचार में वो अभी भी बीजेपी कांग्रेस से आगे है.