केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय का मास्टर प्लान 2021 में संशोधन को लेकर जारी किया गया नोटिफिकेशन दिल्ली के व्यापारियों के गले नहीं उतर रहा है. दुकानदारों के मुताबिक तो नोटिफिकेशन सिर्फ एक दिखावा है, जो व्यापारियों के हित मे नहीं है.
डीडीए के बदलाव
एफएआर यानि फ्लोर एरिया रेशो को 180 से बढ़ाकर 350 कर दिया गया है. यानी अब व्यापारिक गतिविधियां ग्राउंड फ्लोर से बढ़कर तीसरे और चौथे फ्लोर तक की जा सकेंगी. आसान शब्दों में कहें तो लोकल शॉपिंग सेंटर, कमर्शियल कॉम्पलेक्स और कंवीनियेंट शॉपिंग सेंटर वाली जगहों पर सीलिंग नहीं होगी.
दुकानदारों के सवाल
दिल्ली में वर्षों से कारोबार कर रहे सदर बाजार के कारोबारियों का सवाल ये है कि क्या एफएआर बढ़ाने से सीलिंग रुक जाएगी, या फिर इसमें भी कोई पेंच है. जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में स्पेशल एरिया का कोई ज़िक्र नहीं है. जिसका मतलब ये है कि पुरानी दिल्ली के बाजारों से भी कन्वर्जन चार्ज और पार्किंग चार्ज वसूला जा सकता है.
मास्टर प्लान में संशोधन ये कहता है कि 1962 से पहले बने बाजारों को मिक्स्ड लैंड के तहत व्यापारिक गधिविधियों में छूट दी जाएगी. लेकिन सवाल अब भी ये है कि ऐसे बाजार वाले दुकानदार 1962 से पहले के सबूत कहां से लाएंगे.क्योंकि संशोधन में इसका भी जिक्र नहीं है.
इतना ही नहीं संशोधित मास्टर प्लान में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि जो दुकानें बीते 7 महीनों में सील हो चुकी हैं वो डी-सील कैसे होंगी. अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक बीते करीब 7 महीने में 10 हजार से ज्यादा दुकानें सील हुईं हैं. अकेले अमर कॉलोनी में 400 से ज्यादा दुकानों में सरकारी ताले लगे हैं.
मौजूदा वक्त में दिल्ली में 100 से ज्यादा लोकल शॉपिंग कॉम्पलेक्स हैं. और ये सभी कॉम्पलेक्स पहले ही पार्किंग की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या नगर निगम शॉपिंग कॉम्पलेक्स के लिए पार्किंग का इंतज़ाम कर पाएगी.
मास्टरप्लान में हुए संशोधन का दिल्ली में वर्षों से काम कर रही आर.डबलू.ए भी विरोध कर रही है. उसका मानना है कि अगर ये लागू होता है तो दिल्ली रहने लायक नहीं रहेगी. हालांकि उनका ये भी कहना है कि फैसले के खिलाफ दिल्ली की तमाम आर.डबलू.ए फेडरेशन सुप्रीम कोर्ट जाएंगी.