दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया की लाइब्रेरी में 15 दिसंबर की रात को क्या हुआ, ये कहानी वहीं के छात्रों ने अपनी जुबानी सुनाई है. मुहम्मद मुस्तफा पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के साथ यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. 15 दिसंबर को मुस्तफा जामिया की लाइब्रेरी में ही अध्ययन कर रहे थे.
मुस्तफा ने इंडिया टुडे को बताया , 'मैं लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ रहा था. शाम को करीब 5.30 बजे अचानक लाइब्रेरी में आंसू गैस की दुर्गंध आने लगी. मैंने देखा कि आंसू गैस के कुछ गोले अंदर फेंके गए और फिर पुलिसवाले धड़धड़ाते हुए अंदर घुसे और हर तरफ लाठी चार्ज शुरू कर दिया. उन्होंने मेरा लैपटॉप भी तोड़ दिया. उन्होंने मुझे सीढ़ियों से खींचा और पीटना शुरू कर दिया.
'कोई मेडिकल इलाज नहीं कराया गया'
मुस्तफा ने आगे बताया, 'करीब 6.30 बजे वो हमें एनएफसी पुलिस स्टेशन ले गए. हमें फर्श पर बिठाया गया. खून बहने और बेतहाशा पीटे जाने से मेरे दोनों हाथों में फ्रैक्चर हो गया. हमारा कोई मेडिकल इलाज नहीं कराया गया. जब हमने दवाइयों और इलाज की मांग की, तो पुलिस ने कहा 'मरने दो इन्हें.' वहां हर तरफ अंधेरा था और हमें जमीन पर कतार में लगाकर पीट रहे थे. मैं बहुत डरा हुआ था. मुझे लग रहा था कि वे मुझे एनकाउंटर में मार देंगे.' इतना बताने के बाद मुस्तफा का अपने आंसुओं पर काबू नहीं रहा.
मुस्तफा ने कहा, 'मैं तो प्रदर्शन में भी शामिल नहीं था, लेकिन पुलिस ने मुझे भी प्रदर्शनकारी बता दिया. जिंदगी को लेकर मेरा नजरिया अब बदल गया है. कोई भी सुरक्षित नहीं है. अगर आप खुद को सुरक्षित समझते हैं तो ऐसा नहीं है.'
'लाइब्रेरी में पुलिस ने हमें घेर लिया'
मुस्तफा की तरह 21 वर्षीय हमजाला मुजीबी ने भी ऐसी ही आपबीती सुनाई. मुजीबी ने इंडिया टुडे को बताया, 'करीब 7.30 बजे मैं हिंसा का चश्मदीद बना. मस्जिद वाली दिशा से गेट नंबर 4 और 7 से पुलिस अंदर घुसी. लाइब्रेरी में पुलिस ने हमें घेर लिया. हम किसी तरह की हिंसा नहीं चाहते थे. हमें मारा गया और लाइब्रेरी की सीढ़ियों से खींच कर नीचे उतारा गया. उन्होंने मेरा फोन लेकर तोड़ दिया. 15 छात्रों से उनके फोन ले लिए गए.'
हमजाला मुजीबी ने बताया, 'पुलिस ने सेंट्रल लाइब्रेरी में लगे सीसीटीवी कैमरों को भी तोड़ दिया. उन्होंने कतार लगाकर हमें पीटना शुरू कर दिया. एक पुलिसवाले ने मुझसे कहा, 'तेरी उम्र क्या है? तू आजादी दिलाएगा? मैंने जब ऊपर देखा तो एक पुलिसवाले ने मेरा चश्मा लेकर तोड़ दिया. साथ ही बोला- 'नीचे कर आंखें'! फिर कुछ छात्रों को बाहर ले जाया गया.'
मुजीबी ने कहा, 'हम डरे नहीं हैं, हम लड़ेंगे जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा.' इतना कहने के बाद मुजीबी की आंखों से भी आंसू बह निकले.