दिल्ली सरकार के खिलाफ एक दिलचस्प 'लड़ाई' में दिल्ली के बच्चों को कामयाबी मिली है. बड़ी बात यह है कि दिल्ली हाईकोर्ट भी बच्चों के समर्थन में उतर गया है.
दरअसल दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले सरकारी स्कूलों ने दसवीं में फेल लगभग 42 हजार छात्र-छात्राओं का नाम काट दिया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि सरकारी स्कूल अपने रिजल्ट कुछ और बेहतर दिखा पाएं. साथ ही पढ़ाई में कमजोर बच्चों को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए.
कोर्ट का दो टूक फैसला
सरकारी स्कूल के बच्चों ने हार नहीं मानी और वे इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गए. हाई कोर्ट ने इस पर सुनवाई की और दिल्ली सरकार से कहा कि 42 हजार 503 फेल बच्चों को ओपन स्कूल, पत्राचार से पढ़ने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चे अगर रेगुलर पढ़ाई करना चाहते हैं तो सरकारी स्कूलों को उन्हें दोबारा दाखिला देना ही होगा.
हाईकोर्ट के मुताबिक, सरकार ओपन स्कूल में जाने का विकल्प बच्चों को दे सकती है लेकिन यह बच्चों और उनके अभिभावकों पर निर्भर करता है कि वे स्कूल की ओर से दिए गए विकल्प को मंजूर करते हैं या नामंजूर. कोर्ट ने अपने निर्देश में बता दिया कि किसी भी हाल में ओपन स्कूल से पढ़ाई करने के लिए जबरदस्ती नहीं कर सकते या रेगुलर स्कूल में दोबारा दाखिले से मना नहीं कर सकते.
क्या कहा हाईकोर्ट ने
कोर्ट ने कहा कि जिन बच्चों का ओपन स्कूल में पहले ही फॉर्म भरवा लिया गया है उनको भी सभी स्कूलों को यह विकल्प देना होगा कि वे उसी स्कूल में रहना चाहते हैं या ओपन स्कूल से पढ़ाई करना चाहते हैं. कोर्ट ने कहा कि किसी बच्चे या अभिभावक के साथ सरकारी स्कूल अगर जबरदस्ती ओपन स्कूल में जाने का विकल्प भरवाते हैं तो वे कोर्ट में अपनी शिकायत कर सकते हैं.