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'CM नहीं हैं तो ठप हो जाएगी दिल्ली सरकार?' MCD स्‍कूलों में किताब-कॉपी को लेकर HC की सख्त टिप्पणी

दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री का पद संभालने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित अवधि के लिए संवादहीन या अनुपस्थित नहीं रह सकता. मुख्यमंत्री नहीं हैं तो क्या दिल्ली सरकार ठप रहेगी?

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दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर को नगर निगम के स्कूलों में तुरंत कॉपी, किताब और यूनिफॉर्म मुहैया कराने को कहा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर को नगर निगम के स्कूलों में तुरंत कॉपी, किताब और यूनिफॉर्म मुहैया कराने को कहा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहना अरविंद केजरीवाल का निर्णय 'व्यक्तिगत निर्णय' है, लेकिन उनकी अनुपस्थिति एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों की शिक्षा प्राप्त करने के रास्ते में नहीं आनी चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा, 'छात्रों को उनकी पाठ्य पुस्तकें, लेखन सामग्री और यूनिफॉर्म तुरंत नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए. यदि मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि छोटे बच्चों के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया जाएगा और वे मुफ्त पाठ्य पुस्तकों, लेखन सामग्री और यूनिफॉर्म के बिना पहला सत्र (1 अप्रैल से 10 मई) गुजारेंगे.'

दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री का पद संभालने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित अवधि के लिए संवादहीन या अनुपस्थित नहीं रह सकता. मुख्यमंत्री नहीं हैं तो क्या दिल्ली सरकार ठप रहेगी? अदालत ने कहा कि दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज का यह बयान कि एमसीडी कमिश्नर को बजट उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी की आवश्यकता होगी, इस स्वीकारोक्ति के समान है कि 'मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति के कारण दिल्ली सरकार ठप है.'

आचार संहिता में स्कूलों में कॉपी-किताब मुहैया कराने पर रोक नहीं: HC

अदालत ने कहा, 'यह कहना कि आदर्श आचार संहिता के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया जा सकता, एक मिथ्या है. नि:संदेह कोई नया नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सकता, लेकिन संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को प्रतिदिन कई महत्वपूर्ण और जरूरी फैसले लेने ही पड़ते हैं. उदाहरण के लिए, एमसीडी स्कूलों में मौजूदा नीतियों के अनुसार मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, लेखन सामग्री और वर्दी जारी करना और साथ ही टूटी कुर्सियों और मेजों को बदलना एक जरूरी और तत्काल निर्णय है, जिसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए. आचार संहिता के दौरान इस काम की मनाही नहीं है.'

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न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि वर्तमान एमसीडी हाउस में 'पिछले एक साल में शायद ही कोई काम हुआ हो.' हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को स्वत: संज्ञान लेते हुए एमसीडी हाउस में एक प्रस्ताव लाकर एमसीडी कमिश्नर को स्कूली छात्रों को पाठ्य पुस्तकों, लेखन सामग्री और वर्दी उपलब्ध कराने के लिए भुगतान करने का अधिकार दे सकती है. यह काम करने से उसे कोई नहीं रोक रहा. अदालत ने कहा, 'दिल्ली सरकार के वकील द्वारा अन्य संस्थानों को दोषी ठहराना, घड़ियाली आंसू बहाने से ज्यादा और कुछ नहीं है.'

एमसीडी स्कूलों के छात्रों के मौलिक अधिकारों का हो रहा उल्लंघन: HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, 'स्कूली बच्चों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, लेखन सामग्री और यूनिफॉर्म उपलब्ध कराना न केवल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत एक कानूनी अधिकार है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत मौलिक अधिकार भी है. दिल्ली सरकार की तत्परता से कार्य करने और समस्या को तत्काल प्रभाव से हल करने की असमर्थता, एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के प्रति उसकी उदासीनता को दर्शाती है और यह उन छात्रों के मौलिक अधिकारों का जानबूझकर उल्लंघन है.' 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमसीडी कमिश्नर को एमसीडी छात्रों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, लेखन सामग्री और वर्दी प्रदान करने के लिए आवश्यक 5 करोड़ रुपये का बजट तुरंत वहन करने का निर्देश दिया. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि एमसीडी कमिश्नर द्वारा इस संबंध में किया गया व्यय ऑडिट के अधीन होगा. उच्च न्यायालय ने एमसीडी आयुक्त को मामले में 14 मई, 2024 को नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. हाई कोर्ट ने एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले 2 लाख से अधिक छात्रों को पाठ्य पुस्तकें और वर्दी उपलब्ध कराने की मांग करने वाली सोशल ज्यूरिस्ट (एनजीओ) की याचिका पर यह आदेश पारित किया.
 

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