scorecardresearch
 

नियमों के तहत हुई राकेश अस्थाना की नियुक्ति या नहीं? दिल्ली HC ने फैसला रखा सुरक्षित

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली अर्जी पर बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है.

Advertisement
X
राकेश अस्थाना
राकेश अस्थाना
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली के पुलिस कमिश्नर हैं राकेश अस्थाना
  • दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित
  • केंद्र ने अस्थाना की नियुक्ति को बताया नियम के तहत

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली अर्जी पर बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. हाई कोर्ट अपने फैसले में तय करेगा कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति तय नियमों के मुताबिक की गई है या नहीं? दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामा में कहा गया है कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति नियमों के मुताबिक की गई है. पहले उनको सेवा विस्तार दिया गया और फिर उनकी नियुक्ति की गई है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्थापित परंपरा और नियमों से इतर कुछ भी नहीं किया गया है, लेकिन कुछ तथाकथित जनता के वकील टाइप लोगों के निहित स्वार्थ की पूर्ति नहीं होने पर वो पीआइएल का सहारा ले लेते हैं. पीआइएल दाखिल करना कुछ लोगों का धंधा बन गया है. किसी अधिकारी की बजाय दूसरे को नियुक्त करने को लेकर भी लोग सीधे कोर्ट चले आते हैं और न्यायिक हस्तक्षेप की गुहार लगाने लगते हैं.

उन्होंने कहा कि कोर्ट के सामने ही है कि इसी परंपरा और नियमों के तहत अब तक आठ आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति पुलिस आयुक्त पद पर की गई है. लेकिन तब तो किसी ने आपत्ति नहीं जताई. क्योंकि इस तथाकथित जनहित याचिका की आड़ में याचिकाकर्ता अपना हित साधने की जुगत में रहते हैं.

Advertisement

यह अर्जी वास्तव में जनहित याचिका नहीं: मुकुल रोहतगी
सुनवाई के दौरान राकेश अस्थाना के लिए पेश मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह जनहित याचिका वास्तविक में जनहित नहीं है. याचिकाकर्ता एक प्रॉक्सी है और इस जनहित याचिका के पीछे कोई और है. सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने के लिए स्पष्ट रूप से दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं और मामले में इन शर्तों को पूरा नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से उन मामलों में  इनकी आवश्यकता जताई थी जहां जनहित याचिका से कुछ 'सार्वजनिक नुकसान' हो सकता है. उन्होंने पूछा कि इस अधिकारी को नियुक्त करने में जनता को कहां नुकसान है? इस याचिका के पीछे निहित स्वार्थ हैं. याचिका को असाधारण जुर्माने के साथ खारिज कर दिया जाए.

कोर्ट में अस्थाना का प्रशांत भूषण पर हमला
राकेश अस्थाना की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि प्रशांत भूषण की ओर से इस मामले में व्यक्तिगत प्रतिशोध लिया जा रहा है. उन्होंने कहा, ''मेरे खिलाफ पहले भी मामले दर्ज हुए हैं जो खारिज हो चुके हैं और जब वे याचिका दायर कर रहे हैं, तो वे सोशल मीडिया पर भी अभियान चला रहे हैं. इस मामले में प्रकाश सिंह के फैसले को लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि प्रकाश सिंह राज्यों के डीजीपी की नियुक्तियों से संबंधित है और दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है. दिल्ली का अपना स्वतंत्र कैडर नहीं है जिससे उम्मीदवारों को चुना जा सकता था. दिल्ली एजीएमयू कैडर के तहत कई अन्य क्षेत्रों के साथ अपना कैडर साझा करती है.''

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement