दिल्ली हाईकोर्ट से 65 साल से अधिक उम्र और बीमार कैदियों की आपात पैरोल बढ़ाने की मांग को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही अधिक उम्र और बीमार कैदियों की आपात पैरोल बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है.
वकील अमित साहनी द्वारा लगाई गई इस जनहित याचिका में कहा गया है कि जेलों में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना संभव नहीं है क्योंकि वहां पहले से ही क्षमता से अधक कैदी बंद हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि क्षमता से अधिक कैदी होने के कारण जेलों में भीड़भाड़ है और कोविड महामारी से जेल काफी प्रभावित हुए हैं.
लेकिन कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए सुनवाई के दौरान कहा कि जब आप अपराध कर रहे हों तब आपको पता होना चाहिए कि जेल कैसा होता है. हर बार कोविड का बहाना करके जमानत की अर्जी नहीं लगाई जा सकती है. कोर्ट ने 65 साल से ऊपर के कैदियों की रिहाई को लेकर लगाई गई तीनों याचिकाओं पर तुरंत कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.
याचिका में साहनी ने कहा है कि उन्हें पता चला है कि जेल के अधिकारी कैदियों से सात फरवरी तक मंडोली जेल में आत्मसमर्पण करने के लिए कह रहे हैं, जिन्हें पहले आपात पैरोल पर रिहा किया गया था.
साहनी ने कोर्ट को और मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला भी दिया जिसमें मंडोली जेल में दो दर्जन से ऊपर जिन कैदियों ने जमानत की अवधि खत्म होने के बाद जेल में आत्मसमर्पण किया था उन सभी को कोरोना हो गया. दिल्ली हाईकोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को दोबारा करेगा.