दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर रोक लगाने की मांग वाली ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट कल दोपहर ढाई बजे अपना फैसला सुनाएगा. केजरीवाल ने निचली अदालत से जमानत मिले के फैसले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था. वहीं, हाईकोर्ट के फैसले को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उनके इस याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी.
शराब घोटाला मामले में जमानत पर रोक के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां उन्हें अदालत से राहत नहीं मिली है. केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मनोज मिश्र और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि हाईकोर्ट उनकी अर्जी इसलिए नहीं सुन रहा है, क्योंकि ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पहले हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस लें, फिर हमारे पास आएं. कोर्ट ने केजरीवाल की जमानती रिहाई के आदेश पर अंतरिम रोक हटाने से इनकार करते हुए कहा कि हमें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए. जब हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है तो हमारा दखल देना सही नहीं है. हम इस याचिका पर बुधवार को फिर से सुनवाई करेंगे.
सुनवाई के दौरान जस्टिस मनोज मिश्रा ने काफी अहम टिप्पणी की उन्होंने कहा कि अमूमन स्टे के मामलों में फैसले सुरक्षित नहीं रखे जाते, बल्कि मौके पर ही आदेश पारित कर दिए जाते हैं. यहां जो हुआ वह असामान्य है.
अदालत में केजरीवाल की ओर से पेश हुए वकील सिंघवी ने कहा कि जब दिल्ली हाईकोर्ट बिना ऑर्डर कॉपी अपलोड हुए स्टे लगा सकता है तो सुप्रीम कोर्ट भी बिना हाईकोर्ट का आदेश आए उस पर रोक लगा सकता है. इसके बाद जस्टिस मनोज मिश्र ने कहा कि हाई कोर्ट आज कल में फैसला सुनाने ही वाला है.
केजरीवाल ने दाखिल किया जवाब
इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में ईडी के आरोपों पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है. उन्होंने कहा कि गोवा चुनाव में पैसा खर्च करने का ईडी के पास एक भी सबूत नहीं है. ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, उन्होंने एक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है. जमानत का लॉलीपॉप देकर के गवाहों से केजरीवाल के खिलाफ साजिश के तहत बयान दिलवाएंगे हैं.
क्या है दिल्ली शराब घोटाला
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया था. नई पॉलिसी के तहत शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई थीं. दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में थी और जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया.