दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर कानूनी शिकंजा कसने का आगाज सोमवार को केजरीवाल सरकार ने कर दिया. 2008 में कथित तौर पर नियमों को दरकिनार कर अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के मामले में दिल्ली सरकार ने राष्ट्रपति से शीला दीक्षित के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
आखिरकार एक महीने बाद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली पूर्व सीएम शीला दीक्षित की फाइल खोल दी. पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि 2008 में सियासी फायदे के लिए उन्होंने गलत तरीके से अवैध कॉलोनियों को नियमित कर दिया था. ये फैसला विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिया गया था.
आरोप है शीला दीक्षित की सरकार ने बगैर बुनियादी सुविधाओं के अवैध कॉलोनियों को नियमित कर दिया और प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी बांट दिए गए. चुनावों में इसे जमकर भुनाया भी गया. इस मामले में शीला दीक्षित 13 करोड़ रुपये की फिजूलखर्ची का भी आरोप लगा है. इस मामले में बीजेपी नेता हर्षवर्धन ने 2010 में लोकायुक्त से शिकायत की थी. लोकायुक्त ने पिछले साल इस पर फैसला दिया था और रिपोर्ट में गड़बड़ी की बात कही गई थी.
लेकिन तब शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब वही फाइल केजरीवाल सरकार ने राष्ट्रपति के पास बढ़ा दी है.
सरकार बनाने से पहले केजरीवाल लगातार कहते रहे कि वो शीला दीक्षित के घोटालों की फाइल खोलेंगे. लेकिन सीएम बनने के बाद उन पर शीला दीक्षित के खिलाफ नरम रुख रखने का आरोप लगा. अटकलें हैं कि शीला दीक्षित पर लगे दूसरे घोटालों के आरोपों की फाइल भी जल्द खुल सकती है.