दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली गैंगरेप के ट्रायल की मीडिया कवरेज पर लगी रोक को हटा लिया है. अब इसके साथ ही इस केस की रिपोर्टिंग का रास्ता साफ हो गया है.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि न्यायालय प्रत्येक मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय समाचार पत्रों के एक प्रतिनिधि पत्रकार को अदालत में आने की अनुमति देगी. याचिकाकर्ता इनमें से कुछ का प्रतिनिधित्व करते हैं.
न्यायालय ने हालांकि, मीडिया पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए हैं. इसके मुताबिक, मीडिया पीड़िता, उसके परिवार के सदस्य और सुनवाई के दौरान आए गवाह का नाम सार्वजनिक नहीं करेगी.
पुलिस द्वारा मीडिया के लिए जारी निर्देश को रद्द करते हुए न्यायाधीश शाकधर ने कहा कि अदालत के निर्देशानुसार पत्रकार सुनवाई की उन बातों को सार्वजनिक नहीं करेंगे, जिसे सार्वजनिक किए जाने से उन्हें मना किया जाएगा.
एक बार मामले की सुनवाई में अदालत कक्ष में भारी भीड़ जुटने के कारण अफरा-तफरी मच गई थी और आरोपियों को पेश नहीं किया जा सका था.
इसके बाद मजिस्ट्रेट ने बंद कमरे में सुनवाई का आदेश दिया था और मीडिया से कहा था कि वह अनुमति के बगैर मामले से संबंधित कोई खबर प्रकाशित न करें.
दो आरोपियों ने मांगी जमानत
वहीं इस गैंगरेप की वारदात में शामिल दो आरोपियों ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जमानत मांगी है. जमानत मांगने वाले आरोपियों में जेल में आत्महत्या करने वाले बस ड्राइवर राम सिंह का छोटा भाई मुकेश के अलावा विनय शर्मा का नाम शामिल है.
आरोपियों के वकीलों ने बताया कि 25-26 मार्च को राजस्थान के एक गांव में मुकेश को अपने भाई की मौत के बाद संस्कारों में शामिल होना है. वहीं दूसरे आरोपी की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. वकीलों का कहना था कि उन्होंने अदालत में अपना पक्ष रख दिया है अब फैसला अदालत को लेना है.