घूमने और बाइकिंग के शौकीन 34 साल के अमर कटारिया भी सोमवार शाम हुए धमाके का शिकार हो गए. चांदनी चौक के भागीरथ पैलेस में दवाओं के कारोबारी अमर का चार साल पहले विवाह हुआ और तीन साल पहले बेटा है, जिसे पता ही नहीं कि उसकी जिंदगी में क्या धमाका हो गया? दोस्तों के बीच महफिल की जान, हंसमुख और जिंदादिल! दोस्त याद करके फफक पड़ते हैं.
पिता जगदीश कटारिया ने भरी आंख, दिल और गले से बताया कि अस्पताल से तड़के फोन आया कि बाजुओं पर बने टैटू 'मॉम माय फर्स्ट लव' और 'डैड माय स्ट्रेंथ' और 'कृति' लिखा है. वो आपका क्या लगता है?
फोन के उस पार पिता की सांसें थम गईं. गले से आवाज नहीं निकली, सिर्फ आंसुओं में डूबी एक हामी भर पाई- हां, वही मेरा अमर है…''
बस, फिर घर में कोहराम मच गया. मां ने सिर पीट लिया, बहन बेहोश सी हो गई, और बहू ने बेटे को सीने से चिपका लिया.
दरअसल, अमर को भी सोमवार रात पिता जगदीश कटारिया, मां, पत्नी और बेटे के साथ डिनर पर जाना था. पिता से बात हो गई कि रास्ते में उसे पिक कर लिया जाए. फिर सब साथ चलेंगे. लेकिन अमर पहले ही ऐसी यात्रा पर निकल गया, जहां से कोई लौट कर नहीं आता. घर वाले सुनी पथराई आंखों से इंतजार ही करते रह गए.
सारी रात बेटे को देखने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे. किसी ने घुसने तक नहीं दिया. आधी रात के बाद तक वीआईपी और आला पुलिस अधिकारी अस्पताल और मौका ए वारदात का दौरा करते रहे. तड़के चार बजे के बाद बेटे का शव देख पाए. पूरे बदन पर कोई ज़ख्म नहीं. बस गर्दन के पीछे गहरा जख्म था. जैसे किसी ने जिंदगी की डोर वहीं से काट दी हो.
अब मां, बाप बहन और चार साल पहले दुल्हन बनकर घर में आई बहू के आगे अंधेरा है. तीन साल के मासूम को भी क्या पता कि सबकी जिंदगी ऐसी अंधेरी सुरंग में घुस गई है, जहां रोशनी दूर-दूर तक नहीं दिखती.