दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में दूसरे दिन की शुरुआत भी हंगामे से हुई. विधानसभा में दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दवाओं की कमी पर विपक्ष ने हंगामा किया. बीजेपी विधायकों के मुताबिक दिल्ली के अस्पतालों में खुद सीएम केजरीवाल ने अपने निरीक्षण के दौरान दवाओं की भारी कमी पाई.
विपक्ष इस मामले में सदन में चर्चा चाहता था, लेकिन स्पीकर ने इसकी मंजूरी नहीं दी, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया. विपक्ष के हंगामे का आम आदमी पार्टी के विधायकों ने भी सदन में ही जवाब दिया, जिसके बाद स्पीकर ने सबको शांत कराया और कार्रवाई फिर शुरू हुई.
विपक्ष ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि उसकी मंशा विधानसभा की कमेटियों के बहाने अधिकारियों पर दबाव बनाने की थी, जो पूरी नहीं हो सकी. दवाओं की कमी पर चर्चा ना किए जाने से नाराज़ बीजेपी विधायकों ने आरोप लगाया कि विधानसभा में दिल्ली के मुद्दों पर विपक्ष की आवाज़ को दबाया जा रहा है.
मालूम हो कि मानसून सत्र के पहले दिन भी विपक्ष ने सीवर में काम के दौरान सफाई कर्मियों की मौत के मुद्दे पर भारी हंगामा किया था और मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये मुआवज़े की मांग की थी.
हंगामे के बीच फिर से पेश किये बिल
हंगामे के बीच दिल्ली विधानसभा में सरकार ने उन दो बिलों को फिर से पेश किया, जिन्हें केंद्र सरकार ने आपत्तियों के साथ वापस भेज दिया था. बुधवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय विधेयक-2017 और न्यूनतम मजदूरी (दिल्ली) संशोधन विधेयक-2017 को फिर से पेश किया और उम्मीद है कि अंतिम दो दिनों में इन्हें पास भी कर दिया जाएगा.