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बाजारों में लागू हुआ Odd-Even Rule, कंफ्यूजन में कस्टमर, दिल्ली के कारोबारियों से सुनिए क्या आ रही परेशानी

Coronavirus Omicron in Delhi: कोरोना और ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने दुकानों के लिए ऑड-ईवन का फॉर्मूला लागू कर दिया है. लेकिन इस फैसले से दिल्ली के कारोबारी खुश नहीं है. कारोबारियों का कहना है कि इस फैसले से 60 से 70 फीसदी नुकसान होगा.

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कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली में बाजारों को ऑड-ईवन की तर्ज पर खोलने का आदेश दिया गया है. (फोटो-PTI)
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली में बाजारों को ऑड-ईवन की तर्ज पर खोलने का आदेश दिया गया है. (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली की दुकानें ऑड-ईवन फॉर्मूले पर खुलेंगी
  • कारोबारियों ने फैसले पर नाराजगी जताई
  • इससे कारोबार में 60-70% नुकसान की आशंका

Coronavirus Omicron in Delhi: दिल्ली में कोरोना की रफ्तार तेज हो गई है. नया ओमिक्रॉन वैरिएंट बेकाबू होते जा रहा है. अकेले दिल्ली में ही ओमिक्रॉन के 238 मामले सामने आए हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है. यहां पॉजिटिविटी रेट भी 1 फीसदी के करीब पहुंच गया. ये सब देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कई तरह की पाबंदियां लगा दीं हैं. इन्हीं पाबंदियों के साथ गैर-जरूरी सामान बेचने वाली दुकानों को ऑड-ईवन की तर्ज पर खोलने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि, इस फैसले से कारोबारी परेशान हैं. उनका कहना है कि इससे कन्फ्यूजन इतना हो रहा है कि ग्राहक आ ही नहीं रहे हैं.

दिल्ली सरकार की नई कोविड गाइडलाइन (Covid Guidelines) के मुताबिक, दिल्ली और मॉल ऑड-ईवन की तर्ज पर खुलेंगी. यानी ऑड नंबर वाली दुकानें ऑड दिन और ईवन नंबर की दुकानें दूसरे दिन खुलेंगी. लेकिन इस फैसले से कारोबारियों का भी सिर चकरा गया है. दिल्ली के 156 दुकानों वाले खान मार्केट में कारोबारी निराश हैं. 

सरकार ने फैसले से पहले राय भी नहीं ली

खान मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव मेहरा ने कहा, 'ये फैसला नकारात्मक असर डालेगा क्योंकि ये कस्टमर को कन्फ्यूज करेगा. उन्हें पता ही नहीं चलेगा कि कौन सी दुकान खुलेगी और कौन सी बंद रहेगी. नतीजा ये होगा कि लोग घरों से निकलेंगे ही नहीं और बिक्री नहीं होगी.' संजीव मेहरा इस बात पर भी अफसोस जताया कि सरकार ने ये फैसला लेने से पहले कारोबारियों से बात नहीं की.

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उन्होंने कहा, 'हमेशा की तरह इस बार भी सरकार ने फैसला लेने से पहले कारोबारियों से सलाह नहीं ली. ऑड-ईवन को लागू करना सरल नहीं है. सरकार इसे कश्मीरी गेट और चावड़ी बाजार जैसे इलाकों में कैसे लागू करेगी, जहां एक ही बिल्डिंग में कई सारी दुकानें हैं?' उन्होंने कहा कि इस फेस्टिव सीजन में पिछले नुकसान की भरपाई की उम्मीद थी.

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एक ओर एसोसिएशन का दुकानदारों को इस बारे में बताने और इस नियम को लागू करवाने में सिरदर्द हो रहा है तो दूसरी ओर कैफे और बुक स्टोर के मालिकों को नहीं पता कि वो कस्टमर को इस बारे में कैसे बताएंगे कि उनकी दुकान किस दिन खुलेगी.

कैफे टर्टल की डायरेक्टर प्रियंका मल्होत्रा ने आजतक से कहा कि वो ऑड-ईवन फॉर्मूले पर चिंतिंत है लेकिन एहतियाती कदम उठाने की भी जरूरत है. उन्होंने कहा, 'कस्टमर दुकान का नंबर नहीं जानते. वो नाम जानते हैं. शायद एक समान प्रोटोकॉल ज्यादा आसान होगा. हालांकि ये कारोबार के लिए बुरा है, लेकिन हमें डेल्टा लहर के कहर को नहीं भूलना चाहिए. हमें एक ऐसा आसान प्लान बनाने की जरूरत है जो दुकान मालिकों, कर्मचारियों और ग्राहकों के लिए आसान हो.' कैफे टर्टल खान मार्केट में 24वें नंबर पर है जो ईवन तारीख को खुलेगा.

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बेतुका है सरकार का ये कदम

कन्फिडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने सरकार के इस कदम को बेतुका बताया है. CAIT ने कहा कि ओमिक्रॉन के बढ़ते मामले चिंताजनक है लेकिन दिल्ली के बाजारों में ऑड-ईवन लागू करना बेतुका है. इससे ओमिक्रॉन या कोरोना के मामले कम नहीं होंगे, बल्कि व्यापारियों के साथ-साथ ग्राहकों की परेशानी और बढ़ेगी.

CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, कम्प्लीट लॉकडाउन या ऑड-ईवन सिस्टम लागू करने की बजाय दिल्ली सरकार को कोविड सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए लोगों को जागरूक और प्रेरित करना चाहिए.

वहीं, नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल भार्गव कहते हैं, 'कुल मिलाकर इससे कारोबार को 60 से 70 फीसदी नुकसान होगा. 50 फीसदी नुकसान तो इसलिए होगा क्योंकि दुकानें महीने में 15 दिन ही खुलेंगी. और 20 फीसदी नुकसान इसलिए क्योंकि ग्राहक अब घर से निकलने में डरेंगे.' उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर और 1 जनवरी दोनों ऑड डे हैं और इस दिन बिक्री बढ़ती है, लेकिन अब जिस भी दुकान का नंबर ऑड होगा, वो उस दिन घर पर बैठेगा.

दिल्ली सरकार की दुकानों को लेकर ऑड-ईवन स्कीम काम करती है या नहीं, ये तो देखने वाली बात है. लेकिन नए साल की शुरुआत में ऐसा फैसला कारोबारियों के लिए खुशी की बात नहीं है.

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