कोर्ट-कचहरी में स्टाफ के लगातार कोरोना संक्रमित होने के मद्देनजर कुछ वकीलों ने दिल्ली हाइ कोर्ट से आग्रह किया है कि कोर्ट में 1 सितंबर से शुरू की गई फिजिकल सुनवाई को रोक कर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही सुनवाई जारी रखी जाए.
कोरोना वायरस से ही जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान वकीलों ने हाई कोर्ट के जस्टिस हिमा कोहली से कहा कि निचली अदालतों में स्थिति खराब है और हर रोज कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में स्थिति और खतरनाक होने की आशंका है जिसको देखते हुए फिलहाल वर्चुअल हियरिंग को ही जारी रखना बेहतर विकल्प होगा.
जस्टिस हिमा कोहली ने वकीलों से कहा कि अगर फिजिकल हियरिंग कोरोना के संक्रमण को बढ़ाने का कारण बन सकती है तो वकीलों को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल के पास अपना रिप्रेजेंटेशन देना चाहिए जिससे चीफ जस्टिस इस पर कोई फैसला ले सकें. वकील जस्टिस हिमा कोहली की तरफ से सहमत दिखे और चीफ जस्टिस के सामने वर्चुअल हियरिंग को ही आगे जारी रखने को लेकर अपना रिप्रेजेंटेशन देने की तैयारी कर रहे हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली बार एसोसिएशन के रिप्रेजेंटेशन देने के बाद ही 1 सितंबर से दिल्ली हाई कोर्ट की पांच बेंच को रोटेशन के आधार पर फिजिकल हियरिंग के लिए खोला गया था. इसके अलावा दिल्ली की सभी जिला अदालतों में भी 25 फीसदी कोर्ट फिजिकल हियरिंग के लिए खोल दी गई थी. लेकिन फिजिकल हियरिंग शुरू होने के एक-दो दिन के भीतर ही अलग-अलग जिला अदालतों से कोर्ट स्टाफ को कोरोना होने की खबरें मिलने लगीं.
दिल्ली हाई कोर्ट में भी कई जजों के स्टाफ को पिछले 1 हफ्ते के भीतर कोरोना हुआ है. कुल मिलाकर हाई कोर्ट और जिला अदालतों में 1 हफ्ते के भीतर ही 1 दर्जन से ज्यादा कोर्ट स्टाफ कोरोना से संक्रमित हुए हैं. जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि वकीलों की मांग पर ही अदालतों को रोटेशन बेसिस पर खोला गया है. ऐसे में महीनों बाद शुरू करके इन्हें तुरंत बंद करना संभव नहीं है.
अलग-अलग बार एसोसिएशन की तरफ से अदालतों में फिजिकल हियरिंग की मांग कई बार कई महीने से की जा रही थी. इसमें कहा गया था कि कोर्ट का कामकाज ठप होने के कारण वकीलों के लिए जीविकोपार्जन करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में वकीलों को अदालत परिसर में जाते समय सुरक्षा सावधानियों का कड़ाई से पालन करना चाहिए. हाई कोर्ट भी हालात को लेकर जल्द ही रिव्यू करेगा.