दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बीमारी और इंसुलिन को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी में जमकर बयानबाजी हो रही है. इस बीच आजतक ने तिहाड़ जेल के डीजी संजय बेनीवाल से बातचीत की. डीजी से सवाल किया गया कि जेल प्रशासन केजरीवाल को धीमा जहर दे रहा है, अच्छे से खाना नहीं दिया जा रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, आरोप तो कोई भी लगा सकता है, ये मामला न्यायालय में है, इसलिए इस पर बोलना अच्छी बात नहीं. कोर्ट उनकी याचिकाओं पर जो निर्णय लेगा वो सबको मान्य होगा. उन्होंने अपना पक्ष रखा है, हमने अपना रखा है.
दरअसल, सीएम केजरीवाल ने तिहाड़ जेल सुपरिटेंडेंट को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने जेल प्रशासन पर आरोप लगाया है कि तिहाड़ प्रशासन झूठ बोल रहा है, उन्हें इंसुलिन नहीं मिल रही है.
'हमारे पास 20 हजार कैदी हैं'
डीजी से सवाल किया गया कि तिहाड़ में 20 हजार कैदी हैं, ऐसे में सबके स्वास्थ्य सुविधा पर सवाल खड़ा हो गया है, क्या तिहाड़ प्रशासन मेडिकल सुविधा देने ने लिए सशक्त है? जवाब में डीजी ने कहा कि दिल्ली जेल प्रशासन दिल्ली सरकार के द्वारा पारित नियमों के आधार पर जेल प्रशासन चलता है, हमारा जेल मैनुअल है. सभी कैदी एक समान हैं, सबके लिए नियम एक समान हैं. हमारे पास 20 हजार कैदी हैं. सबको अलग अलग बीमारी है.
तिहाड़ में करीब 90 स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. सीनियर मेडिकल ऑफिसर हैं.
जेल में सारी सुविधा उपलब्ध
उन्होंने कहा कि 120 बेड का अस्पताल है. इसके अलावा रेफेरल अस्पताल हैं, जिसमें AIIMS भी आता है, जितने भी सरकारी अस्पताल हैं वो हमारे रेफेरल होते हैं, वहां से भी डॉक्टर आते हैं. हर जेल में एक डिस्पेंसरी होती है जिसमे 8-10 बेड है. डायबिटीज के 900 से 1000 कैदी हैं, कई ऐसे हैं जिनको इंसुलिन की जरूरत होती है. जेल में केमिस्ट शॉप भी है, दवाई का स्टॉक जेल में हैं, इंसुलिन भी है.
'दवाई कौन सी देनी है, ये डॉक्टर तय करता है'
तिहाड़ के डीजी ने आजतक से बातचीत में कहा कि मैं पॉलिटिकल नहीं हूं. मुझे राजनीति से दूर रखिए. मैं सरकारी अफसर हूं और अपनी ड्यूटी कानून नियम के मुताबिक कर रहा हूं. दवाई कौन सी देनी है, ये डॉक्टर तय करता है. आपको डॉक्टर पर भरोसा रखना होगा. अगर 900 कैदी का इलाज डॉक्टर कर सकता है तो बाकियों का भी कर सकता है. हमारे पास जो कैदी हैं वो ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं, उनका जो अधिकार है वो जेल में दिया जा रहा है. बाहर कौन क्या बोल रहा है मुझे इसकी जानकारी नहीं है, मैं अपना काम करता हूं.
'हमें ऐसी परिस्थिति से निपटने की आदत है'
कोर्ट की गाइडलाइन के हिसाब से खाना और दवाई नहीं देने के सवाल पर डीजी संजय बेनीवाल ने कहा कि सब गाइडलाइन के तहत दी जा रही है. मैं अपने काम की जिम्मेदारी लेता हूं, दूसरे क्या कहते हैं उस पर कुछ नहीं कह सकता. उन्होंने कहा कि 37 साल के करियर में ऐसी बहुत सी विकट परिस्थिति आई है. इन सबकी आदत है. हमे ऐसी ट्रेनिंग दी गई है.
'ICMR की गाइडलाइन के तहत दिया जाता है खाना'
तिहाड़ डीजी संजय बेनीवाल ने कहा कि जब भी कैदी आता है, उसका डॉक्टरी चेकअप होता है. उनसे बीमारी के बारे में पूछा जाता है. उसके हिसाब से फिर दवा दी जाती है. उन्होंने कहा कि कोर्ट कोई ऑर्डर करता है, उसको मानना हमारी ड्यूटी है. कोर्ट के ऑर्डर को जेल में माना जाता है. मेरे लिए 20 हजार कैदी एक समान हैं. सबकी जिम्मेदारी है. हम खाना भी ICMR की गाइडलाइन के हिसाब से देते हैं.
900 कैदी को शुगर
शुगर बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि शुगर बढ़ा है. कोई भी खाना खायेगा तो शुगर बढ़ता है. शुगर ऊपर नीचे होता है. हमारे यहां 900 शुगर के कैदी हैं. डीजी ने कहा कि मुलाकात के दौरान शीशे की दीवार जरूरी है. ये दिल्ली सरकार का नियम है, ये इसलिए है कि कोई किसी को प्रतिबंधित समान न दे सके.
5 मिनट फोन पर कर सकते हैं बात
डीजी संजय बेनीवाल ने कहा कि 20 हजार कैदी हैं, तो सबके लिए मुलाकात के नियम एक समान है. अगर कोई मरीज कैंसर का मरीज है तो उसको हम पर्सनली मुलाकात करवा देते हैं. उन्होंने बताया कि एक साफ शीशा होता है, उसके दोनों तरफ लोग होते हैं. लेकिन बात फोन पर ही होती है. सिक्योरिटी की वजह से ऐसी मुलाकात करवाई जाती है.
5 मिनट रोज फोन पर बात की जा सकती है.