दिल्ली में चल रही सीलिंग इन दिनों दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. इस मुद्दे पर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने मास्टर प्लान में किए गए संशोधनों को लेकर केन्द्र सरकार को लताड़ लगाई क्योंकि केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में बिना किसी तैयारी के अपना पक्ष रखा.
माकन ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और भाजपा की केन्द्र सरकार दोनों सीलिंग को लेकर धरना प्रदर्शन करके राजनीति कर रहे हैं. जबकि उनको सर्वोच्च न्यायालय के सामने अपना पक्ष वरिष्ठ नामी वकीलों द्वारा रखवाना चाहिए था.
माकन ने कहा कि एक तरफ दिल्ली सरकार है जो अपने विधायकों व अपने व्यक्तिगत मुकद्मों को लड़ने के लिए राम जेठमलानी, गोपाल सुब्रहमण्यम तथा विश्वानाथन जैसे वरिष्ठ वकीलों को मोटी फीस देते हैं. परंतु सर्वोच्च न्यायालय में जब सीलिंग को लेकर अपना पक्ष रखने की बात आती है तो वे नामी वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं क्यों नहीं लेते?
माकन ने कहा कि 2006 में जब दिल्ली में तकरीबन 8,73,000 व्यवसायिक जगहों पर सीलिंग की तलवार लटक रही थी, उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने अटॉरनी जनरल गुलाम वाहनवती तथा वरिष्ठ वकील विकास सिंह को पक्ष रखने के लिए नियुक्त किया था और दिल्ली पर लटकी सीलिंग की तलवार को रोका था.
माकन ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में मजबूत पक्ष नहीं रखा और उल्टे व्यापारियों के लिए कांग्रेस के द्वारा किए गए मास्टर प्लान के प्रावधानों को ही सर्वोच्च न्यायालय में एक तरह से निरस्त करा दिया. उन्होंने कहा कि या तो इन दोनों सरकारों के पास उचित जानकारी नहीं है या जानबूझ कर ऐसा किया जा रहा है.
माकन ने कहा कि जिस प्रकार से आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और भाजपा की केन्द्र सरकार सीलिंग के मामले को लेकर राजनीति कर रही हैं. उससे ऐसा साफ तौर पर जाहिर होता है कि दिल्ली की हालत बद से बद्तर होने वाली है और दिल्ली में एक भयावह स्थिति पैदा हो जाएगी.