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दिल्‍ली विधानसभा में हंगामा करने के आरोपियों को कोर्ट से नहीं मिली अंतरिम राहत

दिल्ली हाईकोर्ट से विधानसभा में हंगामा करने के मामले में आरोपी जगदीप राणा और राजन कुमार मदान को फिलहाल अंतरिम राहत नहीं मिली है. दोनों आम आदमी पार्टी के नेता है और दोनों पर पिछले महीने विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान हंगामा करते हुए सदन में पर्चा फेंकने का आरोप है.

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विधानसभा में हुआ था हंगामा
विधानसभा में हुआ था हंगामा

दिल्ली हाईकोर्ट से विधानसभा में हंगामा करने के मामले में आरोपी जगदीप राणा और राजन कुमार मदान को फिलहाल अंतरिम राहत नहीं मिली है. दोनों आम आदमी पार्टी के नेता है और दोनों पर पिछले महीने विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान हंगामा करते हुए सदन में पर्चा फेंकने का आरोप है. इन दोनों नेताओं को विधानसभा स्पीकर ने एक-एक महीने के लिए जेल भेज दिया है.

दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के नेता जगदीप राणा और राजन कुमार मदान को हंगामा करने को लेकर विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल की एक महीने की जेल की सजा को दिल्ली हाईकर्ट में याचिका लगाकर चुनौती दी थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से ही सवाल पूछ लिया कि आप स्पीकर के अधिकार को चैलेंज कर रहे है या फिर उनकी सुनाई एक महीने की सजा को. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को याचिका में कुछ बदलाव करके लाने को कहा है और इस पर दोबारा  सुनवाई कल कोर्ट दोबारा करेगा.

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वहीं मामले की सुनवाई को दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील ने याचिकाकर्ता के दलील का विरोध करते हुए सवाल किया कि याचिकाकर्ता स्पीकर के अधिकारों पर सवाल नहीं खड़ा कर सकते. तो इस पर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि उनके दोनों मुवक्‍क‍िल क्या भगत सिंह बनना चाहते थे. हम लोग आज आजाद हिन्दुस्तान में रहते हैं. लिहाजा वो साफ करें कि क्या स्पीकर की दी गई सजा को वो कोर्ट में चुनौती दे रहे है या नहीं.

याचिकाकर्ता ने अदालत से ये कहा था कि उसे गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया है और ये हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्‍यक्षीकरण) का मामला है, लेकिन कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि ये मामला हैबियस कॉर्पस का नहीं बल्कि उसे कानून के द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए शक्तियों के तहत गिरफ्तार किया गया है. अगर याचिकाकर्ता विधानसभा स्पीकर को दी गई शक्तियों को चुनौती देना चाहता है, तो कुछ बदलावों के साथ याचिका दोबारा दायर करें. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली विधानसभा स्पीकर के अधिकार को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का क्या रुख अपनाता है.

 

 

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