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फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट डील के खिलाफ में AAP ट्रेड विंग का प्रदर्शन

आम आदमी पार्टी ट्रेड विंग के संयोजक बृजेश गोयल का आरोप है कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई को मंजूरी नहीं मिली है. जबकि पिछले 10 साल से वॉलमार्ट भारत के बाजार में घुसने की कोशिश कर रहा था.

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AAP ट्रेड विंग का विरोध प्रदर्शन
AAP ट्रेड विंग का विरोध प्रदर्शन

फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के बीच हुई डील को लेकर दिल्ली के व्यापारियों ने विरोध शुरू कर दिया है. आम आदमी पार्टी की ट्रेड विंग ने शनिवार को इस डील के विरोध में चांदनी चौक से लालकिले तक मार्च निकाला. AAP ट्रेड विंग ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि आखिर केंद्र सरकार इस डील को लेकर चुप क्यों है?

आम आदमी पार्टी ट्रेड विंग के संयोजक बृजेश गोयल का आरोप है कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई को मंजूरी नहीं मिली है. जबकि पिछले 10 साल से वॉलमार्ट भारत के बाजार में घुसने की कोशिश कर रहा था. यही कारण है कि अब वॉलमार्ट ई-कॉमर्स के माध्यम से देश में पैर पसारने जा रहा है.

ट्रेड विंग ने बताया कि वो केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को इस संबंध में एक पत्र भी लिख रहे हैं. पत्र का विषय है कि क्या उन्हें इस डील की सभी जरूरी जानकारी है. क्या इस डील में सभी कानूनी पहलुओं का पालन किया गया है? इसके अलावा ई-कॉमर्स से संबंधित नियमों की जानकारी भी मांगी गई है.

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प्रदर्शनकारी व्यापारियों ने केंद्र सरकार से कहा, वॉलमार्ट का इतिहास रहा है कि ये जहां भी गया है इसने वहां के स्थानीय खुदरा व्यापारियों और  ब्रांड्स को खत्म कर दिया है. ऐसे में आखिर क्यों देश के छोटे व मझोले व्यापारियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है?

बता दें कि इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में अमेरिकी खुदरा कंपनी वॉलमार्ट द्वारा प्रमुख भारतीय ऑनलाइन परिचालक फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी करीब 16 अरब डॉलर ( 1.05 लाख करोड़ रुपये) में खरीदने को 'अनैतिक' और 'राष्ट्रहित के खिलाफ' बताया है. मंच का दावा है कि अमेरिकी रिटेल कंपनी मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया अभियान को 'मार' देगी.

सीपीआई(एम) ने भी किया डील का विरोध

दूसरी ओर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्क्सवादी) ने भी फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट डील का विरोध किया है. पार्टी के प्रवक्ता टीकेंदर पंवार ने कहा कि जब बीजेपी विपक्ष में थी, तो उसने मल्टी ब्रैंड रिटेल में एफडीआई को अनुमति देने के यूपीए सरकार के प्रस्ताव का जमकर विरोध किया था और संसद को चलने तक नहीं दिया. लेकिन, अब वे पिछले दरवाजे से वही काम कर रहे हैं.

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