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एप बेस्ड बस सेवाः LG के ऐतराज के बाद योजना से पीछे हटी केजरीवाल सरकार, जनता से भी लेगी राय

अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में एप बेस्ड प्रीमियम बस सर्विस को कुछ दिनों के लिए वापस ले लिया है. केजरीवाल कैबिनेट ने मंगलवार शाम को यह फैसला किया. इस सर्विस पर उपराज्यपाल नजीब जंग पहले ऐतराज जता चुके हैं.

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प्रीमियम बस सर्विस पर केजरीवाल और एलजी में फिर ठनी
प्रीमियम बस सर्विस पर केजरीवाल और एलजी में फिर ठनी

अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में एप बेस्ड प्रीमियम बस सर्विस को कुछ दिनों के लिए वापस ले लिया है. केजरीवाल कैबिनेट ने मंगलवार शाम को यह फैसला किया. इस सर्विस पर उपराज्यपाल नजीब जंग पहले ऐतराज जता चुके हैं.

उन्होंने इस योजना पर फिर से विचार करने की बात कही है. दिल्ली सरकार ने इसे मानते हुए जनता के बीच जाने का फैसला किया है.

मामले में जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ था
नोटिफिकेशन के बारे में जानने के बाद उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस मामले की फाइल दिल्ली सरकार से मंगाई थी. उन्होंने इस बात पर ऐतराज जताया कि इस मामले में प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ और उनको बिना बताए या दिखाए उनके नाम से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. इसलिए उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की इस योजना पर रोक लगा दी थी. उन्होंने सलाह दी थी कि हर योजना पर आप पहले हाईकोर्ट चले जाइए.

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उपराज्यपाल के नाम से जारी किया था नोटिफिकेशन
दिल्ली सरकार ने अप्रैल महीने में एप बेस्ड प्रीमियम बस पॉलिसी का ऐलान किया था. इसके तहत प्राइवेट बस कंपनी अपना रजिस्ट्रेशन कराकर दिल्ली में सुविधायुक्त बसें चला सकती हैं. 20 मई 2016 को दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग के कमिश्नर संजय कुमार ने प्रीमियम बसों के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया था. उसमें कहा गया था कि नोटिफिकेशन एलजी के आदेश के तहत निकाला गया है.

एक जून से लागू होने वाली थी स्कीम
यह योजना बुधवार 1 जून से लागू होने वाली थी. अब इसे 30 जून तक वापस इसमें भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच ने इस योजना की जांच शुरू कर दी थी. मंगलवार को ही एसीबी के सामने पेश होने के बाद परिवहन मंत्री गोपाल राय ने अपने इस पद से इस्तीफा दे दिया. बीजेपी नेता और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने एसीबी में इसकी शिकायत की थी.

प्राइवेट बस कंपनियों से सरकार की मिलीभगत का आरोप
विजेंद्र गुप्ता ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने इस योजना में जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया. उपराज्यपाल के नाम से नोटिफिकेशन जारी हुआ लेकिन उन्हें बताया तक नहीं गया. प्राइवेट बस कंपनियों और दिल्ली सरकार के बीच मिलीभगत है जो जांच में सामने आएगी.

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