छत्तीसगढ़ में एक बड़े राजनैतिक घटनाक्रम के चलते बीजेपी और कांग्रेस के समीकरण नए सिरे से बनने और बिगड़ने लगे हैं. सतनामी समाज के धर्मगुरु बाबा बालदास और उनके बेटे खुशवंत सहाय ने कांग्रेस ज्वॉइन किया है. इससे कांग्रेस के हाथों को मजबूत मिलने की संभावना बढ़ गई है.
पिछले चुनाव में बीजेपी को मिला लाभ
ये वही बालदास हैं जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का दामन थामकर सतनाम सेना का गठन किया था. इस सतनाम सेना ने चुनाव के पहले कांग्रेस के ऐसे समीकरण बिगाड़े कि लगभग दर्जन भर सीटों पर वो पिछड़ गई. नतीजतन कांग्रेस पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा.
इतने सीटों पर प्रभाव
वक्त का पासा फिर पलटा और अब बाबा बालदास ने फिर बिना शर्त के कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. सतनामी समाज अनुसूचित जाति वर्ग का एक बड़ा समुदाय है. राज्य में आदिवासियों के बाद इस वर्ग के सर्वाधिक वोटर होने से तमाम राजनीतिक दलों के समीकरण इस समुदाय पर निर्भर रहते हैं. 54 विधानसभा सीटों पर सतनामी समाज के वर्चस्व के चलते नए समीकरण बनने के आसार हैं.
तीन महीना पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बाबा बालदास से मुलाकात की थी. इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि बाबा बालदास की कृपा बीजेपी पर इस बार भी बरसेगी. मगर ऐसा नहीं हुआ. बाबा बालदास ने अचानक कांग्रेस मुख्यालय का रुख कर लिया. यहां उन्हें हाथों हाथ लिया गया. पार्टी प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, चरणदास महंत, मोतीलाल वोरा, टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल जैसे नेताओं ने बाबा बालदास की आगवानी की.
बीजेपी पर जातिवाद फैलाने का लगाया आरोप
धर्मगुरु बाबा बालदास ने कहा, लंबे समय से देख रहे हैं कि कांग्रेस बड़े अच्छे ढंग से पार्टी और सरकार चलती रही है. जब बीजेपी की सरकार सत्ता में आई तो लगा कि सतनामी समाज के विकास के लिए काम किए जाएंगे लेकिन उसने हमारे समाज से भेदभाव किया औऱ अब जातिवाद कर रही है. आज भी हमारे समाज के लोंगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है.