छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और शराब ठेकेदार बलदेव सिंह भाटिया के एक दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की है.
भाटिया के बंगले से लेकर डिस्लरी तक में पचास से ज्यादा इनकम टैक्स अधिकारियों की टीम ने दबिश दी है. तमाम ठिकानों में पुलिस भारी-भरकम पुलिस बल भी लगाया गया है. बताया जा रहा है कि नोटबंदी के दौरान शराब ठेकों में बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी खपाये जाने के चलते आयकर अफसरों ने इस कार्यवाही को अंजाम दिया है.
नोटबंदी के दौरान राज्य में शराब कारोबारियों ने जमकर ब्लैक ऐंड व्हाइट का काम किया था. बताया जा रहा है कि चूंकि शराब दुकानों में रोजाना लाखों की नगदी आती है, तो इसका कई लोगों ने भरपूर फायदा उठाया. रोजाना लाखों रुपये शराब ठेकेदारों के जरिये बैंक तक पहुंचे. बैंक अफसरों ने जब उनसे आय की श्रोत की जानकारी मांगी तो ठेकेदारों ने शराब की बिक्री होना बताया.
ज्यादातर ठेकेदारों ने रोजाना प्रत्येक दुकानों से होने वाली शराब की बिक्री 20 से 25 लाख तक दिखाई. नोटबंदी के बाद जब खातेदारों का ब्योरा इनकम टैक्स विभाग तक पंहुचा तो अफसर सचेत हो गए. उन्होंने नोटबंदी के पहले की अवधि में उन्हीं दुकानों में शराब की बिक्री और लाइसेंस फ़ीस व खपत की पड़ताल की. इससे साफ़ हो गया कि नोटबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी खपाई गयी थी. फिलहाल और भी कई शराब ठेकेदार आयकर विभाग के रडार में है. बलदेव सिंह भाटिया के यहां पड़े छापे के बाद प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में सरगर्मियां बढ़ गई हैं.
दरअसल भाटिया मुख्यमंत्री रमन सिंह और कई आला अफसरों से बेहद करीबी तालुकात रखते हैं. कहा जा रहा है कि शराब के कारोबार में राज्य के कई नामी गिरामी राजनेताओं और अफसरों का भी निवेश हुआ है. बुधवार की सुबह जैसे ही आईटी रेड की खबर आई, कई नेताओं और अफसरों को साप सूंघ गया. लोग यह पता करते रहे कि कहीं किसी अफसर या मंत्री के निवेश सम्बन्धी कोई दस्तावेज तो आईटी अफसरों के हाथ नहीं लग गए.
आईटी विभाग ने बलदेव भाटिया के गृह नगर राजनांदगांव के अलावा रायपुर और बिलासपुर में स्थित फर्म के दफ्तरों में भी एक साथ छापा मारा. मुख्यमंत्री निवास के करीब ही स्थित सिविल लाइन इलाके में भी बलदेव सिंह भटिया के बंगले में सुबह से आयकर अधिकारियों और पुलिस की चहल कदमी रही. हालांकि नगद रकम समेत जब्त दस्तावेजों के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है.