छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने मुस्लिम युवाओं से अपील की है कि वे नौ दिवसीय नवरात्रि महोत्सव के दौरान 'गरबा' और अन्य धार्मिक आयोजनों में भाग लेने से परहेज करें. उन्होंने सभी से शांति और सामजिक सौहार्द बनाए रखने का आग्रह किया.
डॉ. राज ने यह भी कहा कि यदि कोई मुस्लिम भाई या बहन गरबा में भाग लेना चाहता है, तो वह आयोजन समिति की अनुमति लेकर और आयोजनों के परिधान और रीति-रिवाजों का सम्मान करते हुए इसमें शामिल हो सकता है. उनका यह बयान महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में कुछ संगठन, जैसे विश्व हिंदू परिषद (VHP), द्वारा गैर-हिंदुओं के गरबा कार्यक्रमों में भाग लेने के विरोध के बाद आया है.
नवरात्रि 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है, इसमें गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्य आयोजित किए जाते हैं. डॉ. राज ने बताया कि नवरात्रि हिंदू समुदाय का महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है, जिसमें भक्त देवी जगदंबा की पूजा करते हैं और गरबा व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में श्रद्धा के साथ भाग लेते हैं.
उन्होंने गरबा के आध्यात्मिक महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'गरबा सिर्फ एक नृत्य कार्यक्रम नहीं है. यह देवी दुर्गा की उपासना में किया जाने वाला लोक नृत्य है, जो जीवन के चक्र और उनकी असीम शक्ति का प्रतीक है.'
'मुस्लिम समुदाय के सदस्य मूर्ति पूजा में आस्था नहीं रखते'
डॉ. राज ने कहा कि यदि मुस्लिम समुदाय के सदस्य मूर्ति पूजा में आस्था नहीं रखते हैं, तो उन्हें ऐसे धार्मिक आयोजनों में शामिल होने से बचना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि गलत इरादों से कार्यक्रमों में भाग लेना या व्यवधान पैदा करना हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत कर सकता है और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है.
उन्होंने मुस्लिम युवाओं से अपील की कि वे धार्मिक आयोजनों से दूर रहें और छत्तीसगढ़ की 'गंगा-जमुनी तहज़ीब' को बनाए रखें. उन्होंने कहा, 'इस्लाम शांति का प्रतीक है, और हमें हमेशा भाईचारे, सामंजस्य और राज्य में शांति को प्राथमिकता देनी चाहिए.'
डॉ. राज का यह बयान सामाजिक समरसता बनाए रखने और धार्मिक आयोजनों में आस्था और परंपराओं का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है. उन्होंने सभी से सहयोग की अपील की ताकि नवरात्रि उत्सव शांति और सौहार्द के माहौल में संपन्न हो.