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छत्तीसगढ़: स्वच्छ भारत मिशन के तहत बना ‘अनोखा शौचालय’, एक ही टॉयलेट में लग दीं दो सीट

लखनपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत बेलदगी के आश्रित ग्राम अलगा में बना यह शौचालय इसलिए चर्चा में है क्योंकि इसमें एक ही कक्ष में दो टॉयलेट सीटें लगा दी गई हैं. गांव के निवासियों ने बताया कि पहले कुछ अच्छे शौचालय बनाए गए थे, लेकिन अब निर्माण कार्य में भारी लापरवाही बरती जा रही है.

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लखनपुर की ग्राम पंचायत बेलदगी का शौचालय चर्चा में है
लखनपुर की ग्राम पंचायत बेलदगी का शौचालय चर्चा में है

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले से स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने एक शौचालय की तस्वीर सामने आई है. इसने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. दरअसल, लखनपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत बेलदगी के आश्रित ग्राम अलगा में बना यह शौचालय इसलिए चर्चा में है क्योंकि इसमें एक ही कक्ष में दो टॉयलेट सीटें लगा दी गई हैं.

यह निर्माण न केवल योजना की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि इसे मानव गरिमा और व्यावहारिकता के विरुद्ध भी माना जा रहा है.

स्थानीय लोगों में नाराज़गी

गांव के निवासियों ने बताया कि पहले कुछ अच्छे शौचालय बनाए गए थे, लेकिन अब निर्माण कार्य में भारी लापरवाही बरती जा रही है. एक महिला ने बताया, "पहले तो कुछ अच्छा शौचालय भी बनता था, अब तो बहुत ही बेकार बना है. दरवाजा भी खराब है. एक ही शौचालय में दो-दो सीट लगा दिए हैं, अब क्या हम लोग एक साथ जाएंगे?"

दूसरे ग्रामीण ने शिकायत करते हुए कहा, "बहुत खराब शौचालय बना है, काराकट (सेप्टिक टैंक) भी फट गया है. हमारे खाते में 12-12 हजार आए थे, लेकिन वह भी निकाल लिए गए. अब हम बरसात में जंगल में जाने को मजबूर हैं, जहां सांप-बिच्छू का डर बना रहता है."

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अधिकारियों की लापरवाही उजागर

जब इसकी जानकारी जिला पंचायत सीईओ को लगी तो उन्होंने तुरंत संज्ञान लेते हुए ब्लॉक कोऑर्डिनेटर और ग्राम पंचायत सचिव को नोटिस जारी किया है. इस पर एक अधिकारी ने कहा, "लखनपुर के अलगा पंचायत में हमारी टीम जांच के लिए गई थी. वहां हमें पता चला कि पहाड़ी कोरवा समुदाय के लिए जो शौचालय बनाए गए हैं, उनमें एक ही कक्ष में दो सीटें लगी हैं. हमने कोऑर्डिनेटर और ग्राम पंचायत सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है."

मॉनिटरिंग का अभाव, आधे-अधूरे निर्माण

गांव के कई अन्य शौचालयों की स्थिति भी खराब बताई जा रही है. कुछ अधूरे हैं, तो कुछ में दरवाजे या छत की कमी है. स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि अधिकारियों ने बिना निरीक्षण किए ही निर्माण पूरा मान लिया और पैसे भी निकाल लिए. इस मामले ने न केवल स्वच्छ भारत मिशन की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जिला प्रशासन की मॉनिटरिंग व्यवस्था को भी कठघरे में खड़ा किया है. 

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