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छत्तीसगढ़ में इस शख्स ने गांव के लिए 27 साल में अकेले दम पर खोद दिया तालाब

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के चिरमरी इलाके में श्याम लाल ने अकेले दम पर तालाब बना डाला. उन्होंने इसके लिए अपने जीवन के 27 साल दे दिए.

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दशरथ मांझी ने चीर दिया था पहाड़
दशरथ मांझी ने चीर दिया था पहाड़

आपने बिहार के दशरथ मांझी की कहानी तो सुनी ही होगी, जिन्होंने अकेले दम पर पहाड़ तोड़कर सड़क बनवाई थी. कुछ ऐसा ही उदाहरण अब छत्तीसगढ़ से देखने को मिला है. छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के चिरमरी इलाके में श्याम लाल ने अकेले दम पर तालाब बना डाला. उन्होंने इसके लिए अपने जीवन के 27 साल दे दिए.

दरअसल, श्याम लाल के गांव में पानी की किल्लत थी. लेकिन सरकार ने इस जरूरत को पूरा नहीं किया. ना ही इस गांव में बिजली थी और ना ही पानी. तब 15 साल की उम्र में श्याम लाल ने पानी की समस्या को दूर करने की ठानी. और 27 साल की मेहनत के बाद अब उसे पूरा भी किया. तालाब बनने के बाद अब यह ना सिर्फ गांव की पानी की समस्या को दूर कर रहा है, बल्कि मछली पकड़कर अपनी रोजी-रोटी कमाने वाले लोगों के लिए भी मददगार साबित हो रहा है.

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जिसने रास्ता रोका, उसे ही काट दिया:

बिहार में गया के करीब गहलौर गांव में दशरथ मांझी के माउंटन मैन बनने का सफर उनकी पत्नी का ज़िक्र किए बिना अधूरा है. गहलौर और अस्पताल के बीच खड़े जिद्दी पहाड़ की वजह से साल 1959 में उनकी बीवी फाल्गुनी देवी को वक्‍़त पर इलाज नहीं मिल सका और वो चल बसीं. यहीं से शुरू हुआ दशरथ मांझी का इंतकाम.

22 साल की मेहनत:

पत्नी के चले जाने के गम से टूटे दशरथ मांझी ने अपनी सारी ताकत बटोरी और पहाड़ के सीने पर वार करने का फैसला किया. लेकिन यह आसान नहीं था. शुरुआत में उन्हें पागल तक कहा गया. दशरथ मांझी ने बताया था, 'गांववालों ने शुरू में कहा कि मैं पागल हो गया हूं, लेकिन उनके तानों ने मेरा हौसला और बढ़ा दिया'

 

 

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