छत्तीसगढ़ में कथित 2000 करोड़ के शराब घोटाला मामले में चल रही प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए मंगलवार को कहा कि ED फिलहाल अगले आदेशों तक अपने हाथ बांधे रखे. इस हिदायत के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के अफसरों को अंतरिम संरक्षण देते हुए कहा कि इस मामले में अफसरों पर कोई कठोर कार्रवाई ना हो.
छत्तीसगढ़ सरकार ने ED पर आरोप लगाया है कि जांच एजेंसी राज्य के अफसरों को परेशान कर रही है. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने आदेश जारी करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ कथित शराब घोटाला मामले की जांच में लगी ईडी फिलहाल जांच से हाथ खींच ले.
इस जांच के दौरान कारोबारी अनवर ढेबर, विशेष सचिव ए पी त्रिपाठी, नीतेश पुरोहित और त्रिलोक सिंह ढिल्लन की गिरफ्तारी हो चुकी है. पिछली सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने आरोप लगाया था कि जांच एजेंसी परेशान कर रही है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राज्य में कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है.
राज्य सरकार ने जस्टिस एस के कौल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष आरोप लगाया कि राज्य आबकारी विभाग के कई अधिकारियों ने शिकायत की है कि ईडी की टीम उन्हें और उनके परिवार को धमकी देते हुए गिरफ्तारी का भय दिखा रहा है.
छत्तीसगढ़ सरकार की दलील है कि ईडी मुख्यमंत्री को फंसाने की कोशिश कर रही है. सरकार ने दावा किया कि डरे हुए अधिकारियों ने कहा है कि वे विभाग में काम नहीं करेंगे. ईडी प्रताड़ित और परेशान कर रही है.
छत्तीसगढ़ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया कि ED राज्य के आबकारी अधिकारियों को धमका रहे हैं. यह चौंकाने वाली स्थिति है, अब चुनाव आ रहे हैं और इसलिए ऐसा किया जा रहा है.
ईडी की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि एजेंसी राज्य में केवल इस घोटाले की जांच कर रही है. सुप्रीम कोर्ट टुटेजा अनवर ढेबर की अलग-अलग दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. अनवर ने पीएमएलए की धारा 50 को चुनौती दी गई है. इसमें ईडी किसी को भी बिना कारण बताए पूछताछ के लिए बुलाने का प्रावधान है.