छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में सतनामी समाज के उग्र प्रदर्शन के बाद कांग्रेस की ओर से जैतखाम में तोड़फोड़ के लिए जांच कमेटी बनाई गई है. भूपेश सरकार में मंत्री रहे शिवकुमार डहरिया के नेतृत्व में सात लोगों की कमेटी इस पूरे मामले की जांच करेगी और इसकी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपेगी.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज की ओर से कमेटी गठित की गई है. इस कमेटी में भूपेश सरकार में पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया (संयोजक), पूर्व मंत्री गुरु रुद्र कुमार, कसडोल विधायक संदीप साहू, बिन्द्रनवागढ़ विधायक जनक राम ध्रुव, पूर्व विधायक पद्मा मनहर, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी शैलेंद्र नितिन त्रिवेदी और बलौदा बाजार के जिला अध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर शामिल हैं. कमेटी के लोगों से कहा गया है कि ये सदस्य अविलंब प्रभावित स्थल का दौरा कर स्थानीय लोगों से मुलाकात कर घटना की वस्तुस्थिति से अवगत होकर अपना प्रतिवेदन प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजें.
बलौदा बाजार में क्या हुआ था?
लौदा बाजार में बीते सोमवार को धार्मिक स्थल में तोड़फोड़ से नाराज सतनामी समाज के लोग प्रदर्शन के दौरान उग्र हो गए थे. उन्होंने पहले जिला कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस में पत्थरबाजी की और फिर आग लगा दी. इतना ही नहीं गुस्साए लोगों ने 100 से ज्यादा गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया था. इस हिंसक प्रदर्शन में 25 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए. इस दौरान पुलिस ने 60 से ज्यादा लोगों को हिरासत में भी लिया था.
क्यों हो रहा था सतनामी समाज का प्रदर्शन?
बलौदा बाजार में जो प्रदर्शन हो रहा था, वो गिरौदपुरी के महकोनी गांव में जैतखाम के साथ तोड़फोड़ किए जाने की घटना की सीबीआई जांच की मांग को लेकर था. हालांकि इस मामले में गृह मंत्री की ओर से न्यायिक जांच के आदेश जारी किए गए थे, लेकिन समाज के लोग लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे.
क्या है पूरा मामला?
बीती 15 मई की रात गिरौदपुरी में सतनामी समाज के तीर्थ स्थल 'अमर गुफा' के जैतखाम को किसी ने क्षतिग्रस्त कर दिया था. पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया था. हालांकि नाराज प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस ने असली आरोपियों को नहीं पकड़ा है और वो दोषियों को बचा रही है. इसको लेकर आठ जून को कलेक्टर और समाज के लोगों के बीच बैठक हुई. उसके बाद नौ जून को गृहमंत्री विजय शर्मा की ओर से घटना के न्यायिक जांच के आदेश दिए गए. इसके बाद समाज के लोगों ने 10 जून को दशहरा मैदान में प्रदर्शन की अनुमति मांगी, लेकिन प्रदर्शन के दौरान लोग पुलिस के रवैये से उग्र हुए और हालात बिगड़ गए.