केन्द्रीय मानव संसाधान विकास राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा है कि प्राइवेट स्कूलों के वो शिक्षक, जिन्होंने टीचर्स ट्रेनिंग नहीं ली है, मार्च 2019 के बाद बच्चों को नही पढ़ा पाएंगे. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि ट्रेनिंग हासिल करना सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य होगा. इस संबंध में उन्होंने राज्य सरकारों से काम करने के लिए भी कहा.
उन्होंने कहा, "निजी स्कूल मनमानी करते हैं. सरकारी या निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ाई जाएं, ये अच्छी और सस्ती होती हैं. लेकिन निजी स्कूल वाले अपने फायदे के लिए दुसरी पुस्तकें पढ़ाते हैं. राज्य सरकारों को इस पर ध्यान देना होगा. स्कूल आनलाइन ऑर्डर कर एनसीआरटी की किताबें मंगा सकते हैं."
शिक्षा में सुधार को लेकर केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने पटना में एक रैली भी की. पटना के गांधी मैदान में आयोजित इस रैली को नाम दिया शिक्षा सुधार संकल्प महासम्मेलन. उपेन्द्र कुशवाहा खुद केन्द्र में शिक्षा राज्यमंत्री हैं, लेकिन बिहार में आई शिक्षा में गिरावट को लेकर उन्हें रैली का आयोजन करना पड़ रहा है.
शिक्षा में गिरावट की जवाबदेही सिर्फ सरकार की नहीं
उपेन्द्र कुशवाहा ने इस अवसर पर कहा, "शिक्षा में सुधार की जवाबदेही केवल सरकार की नहीं है, बल्कि समाज के लोगों को भी आगे आना होगा, तभी शिक्षा में सुधार होगा. राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण 1972 से लगातार शिक्षा में गिरावट आई है. 1980 के बाद इसमें सबसे ज्यादा गिरावट आई है. अब वक्त नहीं है. 2-3 पीढ़ियां पहले ही बर्बाद हो चुकी हैं. अब 37 साल के इस गिरावट को 37 महीने में पूरा करना होगा. एनडीए की सरकार शिक्षा में सुधार का काम कर रही है. अब बिहार में भी एनडीए की सरकार है. दोनों को मिलकर शिक्षा में आई इस गिरावट को दूर करने की जरूरत है."
ऐसे शिक्षक भी हैं, जिन्हें पता तक लिखना नहीं आता
उपेन्द्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि कुछ ऐसे शिक्षक भी बहाल हो गए हैं, जिन्हें अपना पता तक लिखना नहीं आता, इन शिक्षकों का मूल्यांकन होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि जिन शिक्षकों में पढ़ाने की क्षमता नहीं है, उन्हें किसी और काम में लगाना चाहिए, नौकरी से निकालना नहीं चाहिए. मंत्री ने माना कि मिड डे मील से भी शिक्षा में गिरावट आई और है इस योजना के लिए भी बीच का रास्ता निकलना चाहिए.
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी द्वारा आयोजित इस महासम्मेलन में पार्टी की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा सक्सेना ने कहा कि अगर बिहार शिक्षा के क्षेत्र में अपने गौरवशाली अतीत को पा ले तो फिर बिहार के बच्चों को दुसरे राज्यों में जाने की जरूरत नहीं होगी. 27 वर्षों बाद केन्द्र और बिहार में एक मन की सरकार है शिक्षा में सुधार का इससे अच्छा अवसर फिर कब मिलेगा.