एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग का एक अजीबोगरीब मामला बिहार की राजधानी पटना में सामने आया है. मामला एक दलित मजदूर के कथित उत्पीड़न का है, जबकि आरोपी पत्रकार की तरफ से कहा गया है कि वे राजस्थान से बिहार कभी आए ही नहीं. फिर भी पटना की अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया और पटना पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.
राजस्थान के बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित पिछले 18 वर्षों से पत्रकारिता कर रहें है. लेकिन वो भी नहीं समझ पा रहें है कि जब वो कभी राजस्थान से बिहार आए ही नहीं तब किस बिनाह पर उनके खिलाफ अनसूचित जाति-जनजाति कानून के तहत मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया. बताया जा रहा है कि इस मामले में वो किसी राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं, जिसका खुलासा होना अभी बाकी हैं.
राजस्थान के बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित को पटना के एससी-एसटी कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. दुर्ग सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर पटना पुलिस को सौंप दिया था. मंगलवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया जहां उन्हें जेल भेज दिया गया.
दुर्ग सिंह ने कहा कि उन्हें इस मामले के बारे में कुछ पता ही नहीं है. उन्हें जब राजस्थान पुलिस यहां लेकर आई तब पता चला कि किसी आदमी ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया है. जिसमें कहा गया कि मैं गिट्टी बालू का काम करता हूं, जबकि मैनें पिछले 18 वर्षों से पत्रकारिता के अलावा कोई काम नहीं किया. मुझे राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा हैं.
दुर्ग सिंह के खिलाफ 31 मई को परिवाद 261/18 दायर किया गया. यह केस नालंदा के राकेश पासवान नाम के व्यक्ति के नाम से किया गया है. आरोप है कि दुर्ग सिंह उसे 6 महीने पहले मजदूरी के लिए बाड़मेर ले गया और पत्थर का खनन कराया पर पैसे नहीं दिए. अप्रैल के पहले हफ्ते में पिता की तबियत खराब हुई तो वह घर लौटा. 15 अप्रैल को दुर्ग सिंह पटना आया और बाड़मेर जाने को बोला और मना करने पर धमकाने लगा. 7 मई को चार लोगों के साथ पटना पहुंचा सड़क पर जूते से पीटने लगा और गाली देने लगा. 2 जून को राकेश का कोर्ट में बयान हुआ. इसी बात पर कोर्ट ने 9 जुलाई को दुर्ग सिंह की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया.
हालांकि कोर्ट में सुनवाई के दौरान फरियादी कहीं नहीं दिखा. राजस्थान से अपने बेटे के साथ आए दुर्ग सिंह के पिता गुमान सिंह राजपुरोहित का कहना है कि मेरा बेटा कभी बिहार आया ही नहीं तो फिर पटना आकर किसी के साथ मारपीट कैसे कर सकता है.
इस पूरे मामले में यह सवाल जरूर उठता है कि माना दुर्ग सिंह पर पटना पुलिस का वारंटी था. लेकिन ऐसा पहली बार देखने को मिला कि दुसरे राज्य कि पुलिस पटना आकर उसके वारंटी को सौंप रही है. दुर्ग सिंह के वकील का कहना है कि एससी एसटी कानून का नाजायज फायदा उठाया गया हैं. इस मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी.