देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) ने बुधवार को बोधि वृक्ष की जांच की और पाया कि वो एकदम सही स्थिति में है. ये गया का वो ही बोधि पेड़ है, जिसके नीचे बैठ कर 2500 साल पहले बुद्ध ने तपस्या की थी.
वैज्ञानिक सुरेश चंद्र ने इस पेड़ की जांच की और बताया कि पेड़ की हालत ठीक है और चिंता की कोई बात नहीं है. इसकी मृत शाखाओं की छंटाई का काम विशेषज्ञ की देखरेख में हो रहा है, जिससे पेड़ का स्वास्थ्य बना रहे. इसके अलावा पेड़ की बढ़ती उम्र के उन भागों को भी हटाया जा रहा है, जिसमें फंगस लग गया है.
इस पवित्र वृक्ष के स्वास्थ्य जांच की पुष्टि करते हुए गया के डीएम संजय अग्रवाल ने बताया कि उनके पास अभी पेड़ की पूरी रिपोर्ट आनी बाकी है. इस पवित्र वृक्ष की खराब हालत और एक रोग के बाद इसके संरक्षण और रखरखाव का काम वन अनुसंधान संस्थान को आउटसोर्स किया गया था.
मंदिर प्रबंधन कमेटी और देहरादून एफआरआई के बीच समझौता होने के बाद वहां के वैज्ञानिक हर छह महीने में पेड़ की जांच के लिए यहां पहुंचते हैं. पेड़ में लगे फंगस के लिए उन्होंने कहा कि इसका उपचार किया जा रहा है और ये सब होना सामान्य है. पेड़ के बीमार हिस्सों पर औषधीय पेस्ट लगा दिया गया है. उन्होंने कहा कि हर बसंत ऋतु में उन्होंने पेड़ की छंटाई की भी सिफारिश की है.
इससे पहले वैज्ञानिकों ने पेड़ के आसपास श्रद्धालुओं के जाने पर भी पाबंदी की सिफारिश की थी, जिससे वृक्ष के पोषण चैनल बंद न हो और उसे नुकसान न पहुंचे. चंद्रा ने कहा कि ये फैसला मंदिर प्रबंधन कमेटी को लेना होगा.