बिहार पुलिस भले ही नेपाल के कारोबारी सुरेश केडिया को 3 दिन बाद अपहरणकर्ताओं के चंगुल से अपने दम पर छुड़ाने का दावा कर रही है, लेकिन केडिया के पारिवारिक सूत्रों की मानें तो उन्हें आजाद कराने के लिए अपहरणकर्ताओं को 10 करोड़ रुपये की फिरौती दी गई थी.
काठमांडू से मुंबई भेजे गए 10 करोड़
केडिया परिवार के एक सदस्य ने आज तक को बताया कि फिरौती की यह रकम काठमांडू से हवाला के जरिए मुंबई भेजी गई. पांच-पांच करोड़ रुपये की दो खेप हवाला के जरिए मुंबई भेजे जाने के बाद ही किडनैपरों ने
रविवार दोपहर सुरेश केडिया को मोतिहारी के एक गांव में लाकर छोड़ा. किडनैपरों ने ही पुलिस को केडिया के गांव में होने की जानकारी दी थी.
केडिया ने खोली पुलिस के दावे की पोल
रक्सौल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेतिया के एसपी विनय कुमार और मोतिहारी के एसपी जितेंद्र राणा के दावों के बीच अपहृत उद्योगपति ने पुलिस के सामने ही बयान दिया कि उन्हें अपहरणकर्ताओं ने काला चश्मा
पहना कर एक जगह पर लाकर छोड़ दिया, जिसके कुछ देर बाद वहां पुलिस आई और उन्हें अपने साथ ले लिया. जबकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसपी राणा और विनय कुमार ने बताया कि पुलिस को देख कर किडनैपर भाग खड़े हुए. केडिया और पुलिस के बयान में यही फर्क संदेह पैदा कर रहा है कि इस अपहरण कांड में रिहाई की सच्चाई के पीछे हवाला के जरिए भेजी गई फिरौती की रकम है.
सांसद भाई ने मुंबई भेजी फिरौती की रकम
सुरेश नेपाल की सद्भावना पार्टी से सांसद विमल केडिया के भाई हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सुरेश केडिया की रिहाई के लिए दस करोड़ रुपये विमल केडिया ने ही जुटाए थे. भाई का अपहरण होने के बावजूद विमल
केडिया तीन दिन तक काठमांडू छोड़कर बीरगंज नहीं गए. पुलिस सूत्रों ने बताया कि विमल केडिया काठमांडू में ही रहकर फिरौती की रकम मुंबई भेजने की कोशिश में जुटे थे.
दो दिन पहले ही गिरफ्तार हो चुका था किडनैपर
जांच टीम में रहे नेपाल पुलिस के सूत्रों के मुताबिक रक्सौल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिस एक किडनैपर की गिरफ्तारी दिखाई गई है, दरअसल उसे अपहरण के ही दिन बरामद की गई स्कॉर्पियो के साथ सुगौली पुलिस ने
गिरफ्तार कर लिया था. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रक्सौल पुलिस ने वहां से हिरासत में लिए गए आधा दर्जन से अधिक संदिग्धों को क्यों मीडिया के सामने पेश नहीं किया?