scorecardresearch
 

चाचा पशुपति पारस और सांसद प्रिंस राज की मुसीबत बढ़ी, मुजफ्फरपुर कोर्ट में परिवाद दर्ज

दोनो सांसदों के खिलाफ कोर्ट परिवाद सामाजिक कार्यकर्ता कुंदन कुमार ने दायर किया है. इस मामले में 21 जून को सुनवाई होगी. आरोप है कि पशुपति पारस ने धोखाधड़ी करके LJP की कमान अपने हाथ में ली है.

Advertisement
X
LJP सांसद पशुपति कुमार पारस (फाइल फोटो)
LJP सांसद पशुपति कुमार पारस (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इस मामले में 21 जून को सुनवाई होगी
  • कुंदन कुमार ने दायर किया है परिवाद

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में चाचा-भतीजे के बीच की लड़ाई बढ़ती ही जा रही है. इस बीच एक शख्स ने मुजफ्फरपुर की अदालत में चाचा पशुपति कुमार पारस, सांसद प्रिंस राज और 5 अन्य के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किया है. इस मामले में 21 जून को सुनवाई होगी.

दोनो सांसदों के खिलाफ कोर्ट परिवाद सामाजिक कार्यकर्ता कुंदन कुमार ने दायर किया है. परिवाद में आरोप लगाया गया है कि पशुपति पारस ने धोखे से LJP की कमान अपने हाथ में ली है, जिसके कारण उन पर धारा 406, 420 के तहत मुकदमा चले.

बता दें कि पशुपति पारस समेत कुल पांच सांसदों ने खुद को चिराग पासवान से अलग कर दिया था. पशुपति पारस ने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिख खुद को संसदीय दल का नेता बनाने की अपील की थी, जिसे मंजूर कर लिया गया था. चिराग पासवान ने भी निर्णय लेते हुए पांचों सांसदों को पार्टी से निकाल दिया था. 

इधर, लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने बुधवार को पार्टी में चल रहे घमासान पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. चिराग पासवान ने जदयू पर पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाया और साथ ही कहा कि उनके चाचा को किसी तरह की बैठक बुलाने या फैसला लेने का अधिकार नहीं है. 

Advertisement

चिराग पासवान ने कहा कि जब मैं बीमार था, तब मेरे पीठ पीछे पार्टी को तोड़ने की साजिश रची गई. इस बार की होली पर परिवार का कोई भी व्यक्ति साथ नहीं था. मैंने अपनी चिट्ठी में चाचा से बात करने की अपील की थी.  

चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी के संविधान के अनुसार सिर्फ संसदीय दल और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष ही संसदीय दल के नेता को चुन सकता है, अगर चाचा कहते तो उन्हें संसदीय दल का नेता बना दिया जाता. अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष की बात है तो संविधान के अनुसार अभी भी वही अध्यक्ष हैं.

Advertisement
Advertisement