बिहार में करीब डेढ़ महीने के थकान भरे चुनाव प्रचार के बाद अब नेता आराम की तलाश में जुट गए हैं. कोई मंदिर में मत्था टेक रहा है तो कोई यज्ञ की तैयारियों में जुटा है. हाल में ही बीजेपी के स्टार प्रचारक बने मनोज तिवारी ने चुनाव प्रचार से लौटकर पहले आईपीएल का लुत्फ उठाया, फिर संगीत के रियाज में जुटे और फिर जा पहुंचे सीधे पटना के महावीर मंदिर में. जहां उन्होंने भगवान से वही मांगा जो हर भाजपाई की जुबान पर है- यानी अपनी जीत और ‘मोदी सरकार’.
एक चरण का चुनाव और बचा है, लेकिन अब हर किसी को चुनाव के नतीजे जाने का बेसब्री से इंतजार है. खुद मनोज तिवारी की किस्मत का फैसला भी इवीएम में बंद है. ऐसे में चुनाव से फुर्सत मिलते ही वे भगवान की शरण में पहुंच गए. गौरतलब है कि मनोज ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा है.
शाम 5 बजे मनोज तिवारी चुनाव प्रचार के बाद पटना एयरपोर्ट पहुंचे और फिर वहां से सीधे अपने होटल के लिए निकल गए, आज उनके आराम का दिन था. मनोज तिवारी ने होटल के अपने कमरे में आईपीएल का लुत्फ उठाया. महीने भर के चुनाव प्रचार के बाद मनोज तिवारी ने फुर्सत के क्षणों में खुद को आराम देने के लिए संगीत का भी सहारा लिया. उन्होंने उसी रियाज और उसी संगीत का सहारा लिया, जो उन्हें सुकून देता है. मनोज ने जमकर अपने कमरे में संगीत का रियाज किया, ताकि चुनाव से उपजी थकान को मिटा सकें.
वे कहते हैं, ‘संगीत बहुत सुकून देता है. संगीत से अच्छा सुकून देने वाला कुछ भी नहीं है, मैं जब कभी भी थका होता हूं या तनाव में होता हूं तो संगीत ही मेरा साथी है. चुनाव खत्म होने के बाद अब ये ही मेरा सहारा है.’ मनोज तिवारी का दूसरा जुनून क्रिकेट है. अपने गांव में सचिन तेंदुलकर की प्रतिमा लगाने वाले मनोज तिवारी ने चुनाव के मैदान से सीधे आईपीएल का रुख किया. अपने होटल में पहुंचने के बाद मनोज आपीएल देखने में मगन हो गए.
मनोज को सिर्फ क्रिकेट और टीवी ही नहीं बल्कि उनकी वो सभाएं भी सुकून दे रही हैं जिन्हें उन्होंने बतौर स्टार प्रचारक संबोधित किया. उन्होंने भीड़ के उत्साह को भी अपने मोबाइल में कैद करके रखा है. अपने कमरे में मनोज अपनी सभाओं में उमड़ी भीड़ को भी अपने मोबाइल में देखकर सुकून की सांस लेते हैं और सभी को दिखाते भी हैं. महीने भर की थकान एक दिन मे नहीं उतरने वाली. इसलिए कोई मंदिर जाने की तैयारी में है तो कोई परिवार के साथ वक्त बिताएगा, लेकिन इन फुर्सत के क्षणों में भी नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई है कि आखिर 16 तारीख को उनका क्या होगा.