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बीजेपी शासित राज्यों से कम जुर्म होता है बिहार में: श्याम रजक

बिहार में बीजेपी के सत्ता से अलग होने के बाद अपराधों में कमी आई है जबकि बीजेपी लगातार ये आरोप लगाती रही है कि जब से जनता दल यू से उनका गठबंधन टूटा है तब से बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है. लेकिन नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के आकड़ों से ये साफ पता चलता है कि बिहार में अपराधों में कमी आई है.

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

बिहार में बीजेपी के सत्ता से अलग होने के बाद अपराधों में कमी आई है जबकि बीजेपी लगातार ये आरोप लगाती रही है कि जब से जनता दल यू से उनका गठबंधन टूटा है तब से बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है. लेकिन नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के आकड़ों से ये साफ पता चलता है कि बिहार में अपराधों में कमी आई है.

जनता दल यू के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्याम रजक ने बीजेपी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बिहार में न सिर्फ अपराधों में कमी आई है बल्कि देश में जितने भी बीजेपी शासित राज्य हैं उनमें से बिहार में सबसे कम अपराधिक मामले दर्ज हुए हैं.

16 जून 2013 को बिहार में जनता दल यू और बीजेपी का 17 वर्षों का गठबंधन समाप्त हुआ. तब से बीजेपी नीतीश सरकार पर लगातार हमले कर रही है. हांलाकि साढ़े सात वर्षों तक वो साथ रहे तब उन्हें कोई कमी नजर नहीं आई लेकिन अलग होते ही उन्हें सरकार में हर तरह की खामियां नजर आने लगी.

बीजेपी ने सबसे ज्यादा हमला कानून व्यवस्था को लेकर बोला क्योंकि उनके अलग होते ही बिहार के बोधगया और पटना में पहली बार आतंकी हमले हुए, मिड डे मील कांड हुआ और कुछ जगहों पर सांप्रदायिक तनाव भी हुए. और ये सही भी है. लेकिन साथ-साथ दुसरे अपराधों पर नियंत्रण भी रहा. नेशनल क्राईम ब्यूरो के आकड़ों के मुताबिक जिस महीने गठबंधन खत्म हुआ उस महीने यानी जून में हत्या के 313 मामले दर्ज हुए जबकि अलग होने के बाद अगस्त में हत्या के 299 मामले सामने आए.

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इसी तरह से जून में बलात्कार के 102 मामले आए तो अगस्त में इसका आंकड़ा 81 का रहा. जून में अपहरण के 515 और अगस्त में 481 मामले दर्ज हुए. यही नहीं श्याम रजक ने ये भी आरोप लगाया है कि महिलाओं पर हो रहे अपराधिक मामलो में भी बिहार बीजेपी शासित राज्यों गुजरात छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से काफी कम है. प्रति एक लाख महिला पर अपराध की औसत दर 2012 का देखें तो बिहार में यह 23.41 प्रतिशत है, गुजरात में ये बढ़कर 33.58 प्रतिशत है तो छतीसगढ़ में 34 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 47.75 प्रतिशत है. यही नहीं पिछले साल यानी 2012 में पड़ोसी राज्य झारखंड की सत्ता में रही बीजेपी के कार्यकाल के दौरान 29.16 प्रतिशत रही जो बिहार के 23.41 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है.

श्याम रजक ने कहा कि जब 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो उस समय बिहार में अपराध और अपराधियों का बोलबाला था, लेकिन गुड गवर्नेंस की बदौलत अपराध और अपराधियों पर नकेल कसे गए. नतीजा ये हुआ 2005 में जहां 3423 हत्या, 1191 डकैती, 2379 लूट, 251 फिरौती के लिए अपहरण, 973 बलात्कार की घटनाएं हुई थी. वहीं 2012 में हत्या के 3066, डकैती के 540, लूट के 1266, फिरौती के लिए अपहरण के 70, बलात्कार के 927 मामले सामने आए जो कि 2005 से कम हैं.

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जेडीयू का दावा है कि जिन बीजेपी शासित राज्यों की चर्चा हो रही है उनमें बिहार की आबादी सबसे ज्यादा है. यानी गुजरात से डेढ़ गुणा से भी ज्यादा. बावजूद इसके 2012 में जहां बिहार में 160271 संज्ञेय अपराध दर्ज हुए वहीं गुजरात में दो गुणा से भी ज्यादा 362649, मध्य प्रदेश में 324845 और छत्तीसगढ़ का आंकड़ा 318615 है. श्याम रजक का कहना है कि इन राज्यों में प्रति लाख व्यक्ति पर पुलिस की संख्या भी ज्यादा है.

बिहार में प्रति एक लाख आबादी पर 67 पुलिसकर्मी हैं तो छतीसगढ़ में 174, गुजरात में 114 और मध्य प्रदेश में पुलिस की संख्या 104 है. बिहार के खाद्य आपूर्ति मंत्री श्याम रजक ने कहा कि बीजेपी के नेता गलत आंकड़े जुटाकर ये साबित करने में लगे हैं कि उनके हटने के बाद बिहार में अपराधियों का बोलबाला बढ़ा है लेकिन हकीकत उससे बिल्कुल उलट है. उन्होंने कहा कि जब से बीजपी सत्ता से बाहर हुई है तब से बिहार में हत्या, बलात्कार, अपरहण, लूट एवं दंगा जैसे अपराधों में कमी आई है, इसलिए बीजेपी के नेता भ्रम में ना रहें.

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