बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के ट्वीट ने बिहार की सियासत में हलचल पैदा हो गई है. भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग से जेल में बंद राजद प्रमुख लालू प्रसाद के ट्विटर के द्वारा राजनीतिक रूप से सक्रिय रहने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
सुशील कुमार मोदी ने लालू पर उनके खिलाफ चल रहे मामलों को सोशल मीडिया के जरिए निष्प्रभावी बनाने का आरोप लगाया. उन्होंने चुनाव आयोग से सवाल किया कि क्या कोई व्यक्ति जो किसी मामले में दोषी करार दिया जा चुका हो और सजा काट रहा हो उसे अपनी दोषसिद्धि को निष्प्रभावी बनाने के लिए स्मार्टफोन, लैपटॉप और वीडियो कांफ्रेंसिंग जैसी आधुनिक सुविधाओं की छूट दी जानी चाहिए.
मोदी ने कहा कि राजद प्रमुख चारा घोटाला मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिए जाने के बावजूद सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘लालू प्रसाद को चारा घोटाले के चार मामलों में दोषसिद्धि के बाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया दिया गया है. उसके बाद भी, यदि वह सोशल मीडिया के मार्फत राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं तो क्या चुनाव आयोग को अपने आप ही उसका संज्ञान लेना चाहिए.’
हालांकि जब बिहार के अवर मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजय कुमार सिंह से जब मीडिया की इस खबर के बारे में पूछा गया कि क्या चुनाव आयोग ने लालू यादव द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल की जांच का आदेश दिया है तो उन्होंने कहा, ‘आयोग ने ऐसी किसी जांच का आदेश नहीं दिया है.'
इधर, मामला बढ़ता देख लालू यादव के ट्विटर हैंडल से एक अन्य ट्वीट भी आया, जिसमें उन्होंने लिखा कि उनका यह सोशल मीडिया अकाउंट जेल से नहीं बल्कि उनके दफ्तर से चल रहा है. जिसके माध्यम से वो अपने समर्थकों तक अपनी बात पहुंचाते हैं.
Dear friends! While in jail, My Twitter handle shall be operated by my office in consultation with family. I shall speak my mind through visitors. The fight to preserve the Constitution & protect the rights of vulnerable groups shall go on.
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) December 25, 2017
उन्होंने ट्वीट किया, 'प्रिय मित्रों! जेल में रहते हुए, मेरा ट्विटर हैंडल परिवार के परामर्श से मेरे कार्यालय द्वारा संचालित किया जाएगा. मैं आगंतुकों के माध्यम से अपने मन की बात कहूंगा. संविधान को बचाने और कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा की लड़ाई जारी रहेगी.'