बिहार के पश्चिमी चंपारण जिला के बगहा में 2013 में थारू जनजाति के साथ झड़प की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने रविवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दी. इस घटना में 25 पुलिसकर्मी घायल हुए थे, जबकि पुलिस गोलीबारी से छह आदिवासियों की मौत हो गई थी.
पुलिस और आदिवासियों के बीच टकराव
बगहा पुलिस फायरिंग के लिए आयोग का गठन 4 जुलाई 2013 को किया गया था. पश्चिम चंपारण के नौरंगिया थाना क्षेत्र में थारू जाति के आदिवासियों के साथ हुए टकराव में पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में छह लोगों की मौत हो गई थी . इस फायरिंग में 25 पुलिसकर्मियों के अलावा 21 लोग भी घायल हो गए थे.
छह महीने में ही सौंपनी थी रिपोर्ट
इसी फायरिंग की जांच के लिए जांच आयोग का गठन किया गया था. आयोग को छह महीने के अंदर ही अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन कई बार आयोग के कार्यकाल को बढ़ाया गया.
पुलिस ने की फायरिंग और लाठीचार्ज
यह मामला चंदेश्वर काजी नाम के व्यक्ति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं करने और ना ही कोई कार्रवाई करने के बाद तूल पकड़ा. जब एक शव के मिलने की सूचना पर आदिवासियों ने हंगामा किया मामला नियंत्रण से बाहर हो जाने के बाद बगहा पुलिस ने फायरिंग और लाठीचार्ज किया.
फायरिंग में शामिल पुलिस वालों का तबादला
सरकार ने नौरंगिया थानाध्यक्ष को 25 जून 2013 को ही निलंबित कर दिया था. पुलिस फायरिंग में शामिल पुलिसकर्मियों का भी तबादला कर दिया गया था. मामले की जांच अपर पुलिस महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक (कारा) ने संयुक्त रूप से की. जांच रिपोर्ट पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए सरकार ने एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन 4 जुलाई 2013 को किया, जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद बनाए गए.
सीएम नीतीश को सौंपी जांच रिपोर्ट
जांच आयोग की अवधि छह माह के लिए ही निर्धारित की गई थी, हालांकि आयोग के कहने पर इसका कार्यकाल छह-छह माह के लिए इस साल 4 जुलाई तक के लिए बढ़ाया गया था. रविवार को न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आयोग की जांच रिपोर्ट सौंप दी. इस अवसर पर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा मौजूद थे.