बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बुधवार शाम 5 बजे कैबिनेट मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग में विधायकों के टिकट को लेकर कुछ बड़े फैसले किए जा सकते हैं. गौरतलब है कि 20 फरवरी को राज्य में मांझी सरकार को बने रहने के लिए विश्वास मत हासिल करना होगा. इस बीच मांझी ने कहा है कि मैं किसी पार्टी के बारे में नहीं बोल रहा हूं लेकिन हमारे पास विधायकों का पूरा समर्थन है.
मांझी सरकार के ताबड़तोड़ फैसले
इससे पहले बुधवार को सरकार ने अगले वित्त वर्ष से मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत विधानमंडल के सदस्यों की अनुशंसा पर कार्य कराने के लिए हर साल दो करोड़ की जगह तीन करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किए जाने को मंजूरी दे दी है.
बिहार राज्य मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के विशेष सचिव अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि मंत्रिपरिषद की बैठक में 27 एजेंडों पर मंजूरी दी गई, जिसमें 9 एजेंडा प्रस्तावित थे और 18 एजेंडे अन्य के रूप में शामिल किए गए थे. उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने अन्य के रूप में एक वित्तीय वर्ष में आरक्षी से लेकर निरीक्षक तक के पुलिसकर्मियों को 12 महीने की जगह 13 महीने के वेतन के भुगतान का निर्णय लिया है.
द्विवेदी ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने होम गार्ड्स को प्रतिदिन दिए जाने वाले मानदेय को 300 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये किए जाने, यात्रा भत्ता 20 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये किए जाने और 20 साल की लगातार सेवा पूरी करने वाले होम गार्ड को सेवा के बाद डेढ लाख रुपये मानदेय के तौर पर दिए जाने को मंजूरी दी है. इसके अलावा उनके शारीरिक तौर पर दक्ष रहने पर उनकी कार्यरत रहने की अवधि को 50 साल से 60 साल किए जाने को मंजूरी दी है.
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने विभिन्न पंचायतों में निजी उच्च माध्यमिक विद्यालयों और इंटर कालेजों के उच्च विद्यालयों को मान्यता देने के लिए अधिनियम में यथोचित संशोधन एवं आरक्षण के प्रावधान सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है. द्विवेदी ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने मध्याह्न भोजन योजना के तहत कार्यरत रसोइया को एक हजार रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त मानदेय देने के लिए भारत सरकार से अनुशंसा करने का निर्णय लिया है.
मुख्यमंत्री मांझी ने बुधवार शाम अपनी कैबिनेट की बैठक की और कई प्रस्तावों को मंजूरी दी. विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान सदन में बैठने की व्यवस्था और जेडीयू के विपक्ष में बैठने की मांग को लेकर दिए आवेदन पर फैसले को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में जोरदार विरोध देखने को मिला.
मांझी को मिलेगा बीजेपी का सहारा!
इससे पहले बिहार में राजनीतिक उठापटक और 20 फरवरी को मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की बहुमत परीक्षा से ठीक पहले बीजेपी खेमे से एक बड़ी खबर सामने आ सकती है. बीजेपी विधायक और प्रवक्ता विनोद नंद झा का कहना है कि पार्टी के अधिकांश विधायक मांझी सरकार के समर्थन में वोट करना चाहते हैं. हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला अभी नहीं आया है, लेकिन जाहिर तौर पर यह खबर मांझी खेमे के लिए खुशियां ला सकती है.
विनोद नंद झा ने कहा, 'बीजेपी की मीटिंग अभी जारी है. लेकिन ज्यादातर विधायकों की राय है कि जीतनराम मांझी के समर्थन में वोट किया जाए. हालांकि, इस मामले में अभी आखिरी और आधिकारिक फैसला नहीं किया गया है.'
गौरतलब है कि सीएम मांझी के प्रति बीजेपी नेताओं का यह उदार रवैया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मांझी की मुलाकात के बाद आया है. यानी बिहार में समर्थन की 'राजनीतिक खिचड़ी' में 'छौंक' दिल्ली से भी लग रही है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. यह सब ऐसे समय भी हो रहा है, जब जेडीयू का नीतीश खेमा बीजेपी को लगातार प्रदेश में सियासी संकट के लिए पर्दे के पीछे से नीति बनाने के जिम्मेदार मान रहा है.
मांझी को बहुमत का भरोसा
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बुधवार को दावा किया कि उनकी सरकार 20 फरवरी को विधानसभा में बहुमत हासिल कर लेगी. पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, 'मेरे साथ सभी विधायक हैं और 20 फरवरी को विधानसभा सदन में बहुमत साबित कर देंगे.' राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने मांझी को विधानसभा में 20 फरवरी को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है. सत्ता संघर्ष की लड़ाई के बीच मुख्यमंत्री मांझी को पटना हाईकोर्ट से भी बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने मांझी के नीतिगत फैसले लेने पर लगी रोक हटा ली है.
बीजेपी द्वारा समर्थन दिए जाने के सवाल पर मांझी ने कहा कि उनके साथ सभी विधायक हैं. जेडीयू मांझी को पहले ही पार्टी से निष्कासित कर चुका है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीयू विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता नीतीश कुमार 130 विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर चुके हैं.
फैसलों पर 20 फरवरी के बाद अमल
हाईकोर्ट ने जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को मांझी के वित्तीय और नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगा दी थी. अदालत में सरकार की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता वरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकार ने फैसले लेने पर लगी रोक हटाने के लिए हाईकोर्ट में एक आवेदन दिया था. आवदेन पर सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने मांझी सरकार पर लगी रोक हटा ली है. हालांकि सरकार के लिए गए फैसले पर 20 फरवरी के बाद ही अमल करने का निर्देश दिया गया है.