कृषि कानून को लेकर दिल्ली में जो किसानों का आंदोलन चल रहा है उसे अब बिहार के किसानों का भी समर्थन मिला है. केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानून के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले 8 दिनों से दिल्ली में डेरा डालकर बैठे हुए हैं और आंदोलन कर रहे हैं.
किसानों के इस आंदोलन को अब बिहार के किसानों का भी समर्थन प्राप्त हो गया है. बिहार के किसानों ने दिल्ली में चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य कृषि उपज पर देना ही पड़ेगा.
बिहार के किसानों ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे दे तो संभव है कि दिल्ली में चल रहा आंदोलन समाप्त हो जाए. बिहार के किसानों ने मांग की है कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून को तुरंत वापस किया जाना चाहिए क्योंकि यह न केवल काला कानून है बल्कि अंग्रेजों के शासन काल की तरह है.
बेगूसराय से किसान नेता चंद्र देव वर्मा ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसानों का जो आंदोलन चल रहा है वह न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है क्योंकि सरकार जो कानून लेकर आई है उस पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई जिक्र नहीं है. किसान को उसकी उपज का सही दाम मिल पाएगा भी कि नहीं, इसको लेकर कानून में कुछ भी नहीं है. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. सरकार अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कर दे तो फिर किसानों का आंदोलन समाप्त हो जाएगा.
किसान मनोरंजन कुमार ने कहा कि सरकार ने जो कानून बनाया है, वो किसानों के विरोध में है. सरकार का दावा है कि 3 कानूनों के लाने से बिचौलियों का खेल खत्म हो जाएगा मगर सच्चाई तो यह है कि इससे बिचौलियों की और चांदी होगी.
मुजफ्फरपुर के किसान अजय ठाकुर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा के किसानों का जो आंदोलन हो रहा है वो सही है. केंद्र सरकार को तीनों काला कानून वापस लेना चाहिए और किसानों के साथ बैठकर नए कानून का संशोधन कर किसानों से बात करनी चाहिए. किसानों का ऋण माफ होना चाहिए और पराली जलाने पर जो जुर्माना वसूला जाता है उसे भी समाप्त कर देना चाहिए.
किसान संजीत किशोर ने कहा कि दिल्ली में जो किसानों का आंदोलन चल रहा है, वो पूरे हिंदुस्तान के लिए हो रहा है. सरकार का तीनों कृषि कानून अंग्रेजों के शासनकाल के जैसा है. जिस तरीके से अंग्रेज जबरन किसानों से नील की खेती करवाते थे वैसे ही अब कॉरपोरेट लोगों के द्वारा किसानों से करवाया जाएगा. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिलनी चाहिए.