जातिगत जनगणना (Caste Based Census) के मुद्दे पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) एक दूसरे के साथ जिस तरह से सहज नजर आ रहे थे वह बिहार (Bihar) में बीजेपी (BJP) की बेचैनी बढ़ा सकता है.
प्रधानमंत्री से जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मुलाकात के बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी एक साथ प्रधानमंत्री कार्यालय से निकले और एक दूसरे के साथ सहज अंदाज में बातचीत करते दिखे. दोनों नेता तब तक एक दूसरे से बात करते रहे जब तक कि प्रतिनिधि मंडल के अन्य सदस्य प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर नहीं निकले.
नीतीश ने तेजस्वी को दिया श्रेय!
प्रधानमंत्री कार्यालय पर मौजूद मीडिया से भी बातचीत करने के दौरान नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से हुई मुलाकात का श्रेय तेजस्वी को ही दिया. नीतीश ने कहा कि यह सुझाव तेजस्वी ने ही दिया था कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से बिहार का एक प्रतिनिधिमंडल मिले और अपनी बात रखें. नीतीश ने तेजस्वी को जब जातिगत जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मुलाकात के सुझाव के लिए श्रेय दिया तो तेजस्वी ने भी नीतीश कुमार का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने उनके प्रस्ताव पर सहमति जताई.
चुनाव के दौरान बिगड़े थे नीतीश-तेजस्वी के रिश्ते
पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश ने बिना किसी का नाम लिए लालू परिवार पर हमला किया और कहा था कि कुछ लोग बेटे की चाहत में 8-9 बच्चे पैदा कर देते हैं. चुनाव के बाद बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में चर्चा के दौरान तेजस्वी ने नीतीश पर निजी हमले किए थे और आरोप लगाया था कि कैसे 1991 में एक हत्या के मामले में नीतीश कुमार का नाम सामने आया था और फिर कैसे उस पूरे मामले को रफा-दफा किया गया. इसी चर्चा के दौरान तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर कंटेंट चोरी के मामले में उनके द्वारा 25000 रुपये का जुर्माना देने की बात कही. तेजस्वी के निजी आरोपों पर उस वक्त सदन में नीतीश कुमार आग बबूला हो गए थे और उन्होंने कह दिया था कि तेजस्वी बकवास कर रहे हैं.
जातिगत जनगणना के मुद्दे पर नीतीश-तेजस्वी साथ-साथ
विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच कई मौकों पर जो टकराव की स्थिति बनी थी वह जातिगत जनगणना के मुद्दे पर हवा हो गई. दोनों नेता जो एक दूसरे के खिलाफ आग उगल रहे थे वह जातिगत जनगणना के मुद्दे पर एक हो गए. विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान तेजस्वी ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को हवा दी तो फिर नीतीश ने भी इसका समर्थन किया और तेजस्वी यादव को अपने चेंबर में बुलाकर इस पूरे मामले पर चर्चा की. पक्ष और विपक्ष का इस मुद्दे पर साथ आने के बाद नतीजा यह निकला कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से सोमवार को इस मुद्दे पर मिला.
नीतीश-तेजस्वी की मुलाकात से बीजेपी में बेचैनी !
बिहार के राजनीतिक गलियारों में अब इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि क्यों नीतीश और तेजस्वी का एक दूसरे के साथ सहज दिखना बीजेपी की बेचैनी बढ़ा सकता है? 2005 से 2020 तक नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड बिहार सरकार में बड़े भाई की भूमिका में रही जबकि बीजेपी हमेशा छोटे भाई की ही भूमिका में नजर आई. मगर 2020 विधानसभा चुनाव के बाद हालात पूरी तरीके से बदल गए जब बीजेपी 74 सीटों के साथ एनडीए में सबसे बड़े दल के रूप में सामने आया और जनता दल यूनाइटेड महज 43 सीटों पर सिमट गई. अपने वादे के अनुसार बीजेपी ने भले ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना दिया मगर यह बात स्पष्ट है कि सरकार चलाने में बीजेपी का दबाव नीतीश कुमार हमेशा महसूस कर रहे हैं.
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जातिगत जनगणना के मुद्दे पर नीतीश और तेजस्वी के साथ आने के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी को यह संदेश दे दिया है कि बिहार में जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी साझा सरकार चला रही हो मगर वह अपने विचारधारा के साथ समझौता कभी नहीं करेंगे. नीतीश ने बीजेपी को साफ संकेत दे दिया है कि जातिगत जनगणना और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिसको लेकर वह बीजेपी पर लगातार दबाव बनाते रहेंगे.
2024 को लेकर नीतीश ने खोल दिया है विकल्प
जातिगत जनगणना के मुद्दे पर तेजस्वी के साथ खड़े होकर नीतीश कुमार ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भी एक बहुत बड़ा संदेश दे दिया है. नीतीश ने साफ संकेत दे दिए हैं कि वह बिहार में भले ही एनडीए का हिस्सा हों मगर आरजेडी उनके लिए अब अछूती नहीं है जिसके साथ मिलकर उन्होंने पूर्व में डेढ़ साल सरकार चलाई है. नीतीश और तेजस्वी के साथ आने से यह संकेत भी मिलते हैं कि अगर 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्ष नीतीश कुमार को अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर देता है तो उन्हें एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने में कोई गुरेज भी नहीं होगा.
नीतीश के करीबी बता चुके हैं उन्हें प्रधानमंत्री मटेरियल
नीतीश कुमार के बेहद करीबी और जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कुछ दिन पहले राजनीतिक गलियारे में यह बयान देकर सनसनी फैला दी थी कि नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री मटेरियल हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था “हम लोग एनडीए में हैं और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, जो अच्छा काम कर रहे हैं मगर और भी ऐसे नेता है जो प्रधानमंत्री बन सकते हैं जिनमें से एक नीतीश कुमार भी है. नीतीश कुमार प्राइम मिनिस्टर मटेरियल है.”
नीतीश-तेजस्वी के साथ आने पर क्या कहती है बीजेपी ?
बीजेपी नेता निखिल आनंद का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने के बाद तेजस्वी जिस सहज अंदाज में नीतीश कुमार के साथ बातचीत कर रहे थे वह केवल एक तस्वीर थी. आनंद ने कहा कि लालू परिवार में जो बवाल मचा हुआ है उसे राजनीतिक हथकंडे से तेजस्वी छुपाने की कोशिश कर रहे थे. आनंद ने कहा कि “नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री मोदी से मिलने सभी दलों के नेता गए जिसमें तेजस्वी भी शामिल थे. तेजस्वी की किसके साथ खिचड़ी पक रही है या किसके साथ नहीं है एक शिगूफा है और कुछ नहीं. प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद तेजस्वी का बॉडी लैंग्वेज केवल एक फोटो अपॉर्चुनिटी था. अपने घर में चल रहे घमासान को अपने राजनीतिक टोटके और हथकंडे से वे छुपाने का प्रयास कर रहे थे.”
क्या है जेडीयू और आरजेडी का प्लान ?
जनता दल यूनाइटेड प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा “लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि राष्ट्रहित के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष एक साथ भी नजर आते हैं. नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके नेतृत्व में जो प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलकर आया है इसके कोई राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए. महागठबंधन अपनी जगह है और बिहार में एनडीए विकास के कार्य कर रहा है.”
वहीं, आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि “राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. राजनीति में संभावनाओं के द्वार हमेशा खुले रहते हैं. बीजेपी के तानाशाही रवैया से कई घटक दल एनडीए का साथ छोड़ चुके हैं. नीतीश कुमार भी कई मुद्दों पर बीजेपी से अलग राय रखते हैं. भविष्य में क्या होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है.”