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बिहार: मुकेश सहनी की नाराजगी से बीजेपी को क्यों नहीं है डर? जानें

बिहार एनडीए में फूट अब साफ झलक रही है. विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी, भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बागी रुख दिखा रहे हैं. निषाद वोटरों को लुभाकर अब उनकी योजना यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी को पीछे छोड़ने की है.

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बिहार सरकार में मंत्री और VIP के मुखिया मुकेश सहनी (फाइल फोटो)
बिहार सरकार में मंत्री और VIP के मुखिया मुकेश सहनी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी-योगी से नाराज हैं मुकेश सहनी
  • यूपी चुनाव में आजमाना चाहते हैं किस्मत
  • निषाद राजनीति के सहारे लड़ेंगे चुनाव

विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी पिछले 2 दिनों से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं. निषाद की राजनीति के बूते मुकेश सहनी 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की किस्मत आजमाना चाहते हैं.

पिछले कुछ दिनों से मुकेश सहनी लगातार उत्तर प्रदेश का दौरा भी कर रहे हैं. 2 दिन पहले वह वाराणसी भी गए थे लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उन्हें एयरपोर्ट से बाहर तक निकलने नहीं दिया. उत्तर प्रदेश की राजनीति में पैर पसारने के लिए मुकेश सहनी लगातार निषाद पॉलिटिक्स कर रहे हैं. 

मुकेश सहनी ने 25 जुलाई को फूलन देवी शहादत दिवस मनाने का भी ऐलान किया था. मुकेश सहनी चाहते थे कि उत्तर प्रदेश के 18 शहरों में वह फूलन देवी की प्रतिमा स्थापित करें. जब वे फूलन देवी की प्रतिमा को वाराणसी में स्थापित करने के मकसद से पहुंचे तो स्थानीय प्रशासन ने उन्हें एयरपोर्ट से बाहर तक निकलने तक नहीं दिया. अगली फ्लाइट से उन्हें कोलकाता रवाना कर दिया.

बिहार: NDA में रार! सीएम योगी से नाराज मुकेश सहनी, यूपी में 165 विधानसभा सीटों पर उतारेंगे उम्मीदवार
 

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योगी सरकार के बर्ताव पर भड़के सहनी

मुकेश सहनी के साथ जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐसा बर्ताव किया तो वह आग बबूला हो गए. तब से ही वे लगातार बीजेपी को खरी-खोटी सुना रहे हैं. उन्होंने यह भी ऐलान कर दिया है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी 165 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

बीजेपी विरोध पर नाराज VIP विधायक!

सोमवार को बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन जब एनडीए की बैठक हुई तो इस बैठक का भी मुकेश सहनी ने बहिष्कार कर दिया. अब  ऐसा लग रहा है मुकेश सहनी ने जो बीजेपी और एनडीए के खिलाफ तल्ख रुख इख्तियार किया है, इसमें वह खुद फंसते नजर आ रहे हैं. दरअसल, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी से 4 विधायक चुने गए हैं. इन्हीं में से एक विधायक राजू सिंह ने अब मुकेश सहनी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. 

'प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है VIP'

राजू सिंह ने कहा है कि एनडीए की बैठक का बहिष्कार करना, मुकेश सहनी का व्यक्तिगत फैसला था. इसके लिए उन्होंने पार्टी के अन्य विधायकों के साथ कोई बात नहीं की थी. विधायक राजू सिंह ने कहा, 'एनडीए की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला गलत था. उस मंच पर मुकेश सहनी अपनी बात रख सकते थे. हम लोग क्षेत्र में काम करते हैं और हमें लगता है कि एनडीए की बैठक में शामिल होना चाहिए था. विकासशील इंसान पार्टी में समन्वय की बहुत कमी है. हमारी पार्टी कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है और सब की बात सुनी जानी चाहिए.'

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NDA गठबंधन में नहीं मिल रही है तरजीह!

मुकेश सहनी ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि उन्हें एनडीए गठबंधन में तरजीह नहीं मिल रही है. उन्होंने गठबंधन से नाराजगी जताई और कहा कि एनडीए में केवल बीजेपी और जेडीयू की ही बात होती है. वीआईपी की कोई चर्चा भी नहीं होती, जबकि गठबंधन सरकार इसी पार्टी की वजह से चल रही है.

इस बयान पर विधायक राजू सिंह ने कहा है कि मुकेश सहनी को एनडीए में तरजीह नहीं मिलने से नाराज है और उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. दरअसल उन्हें खुद अपनी पार्टी में कोई तरजीह नहीं मिल रही है.

क्यों फंस गए हैं मुकेश सहनी ?

मुकेश सहनी दरअसल एनडीए और बीजेपी का विरोध करने के चक्कर में यह भूल गए हैं कि बिहार में जो उनके 4 विधायक हैं उनमें से तीन विधायक बीजेपी पृष्ठभूमि के हैं. ऐसे में मुकेश सहनी बीजेपी को आंख तो दिखा सकते हैं, मगर कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकते.

कौन हैं बीजेपी बैकग्राउंड के VIP विधायक?

1. स्वर्णा सिंह, विधायक गौरा बौराम

स्वर्णा सिंह गौरा बौराम विधानसभा सीट से वीआईपी पार्टी की विधायक हैं. स्वर्णा सिंह के ससुर सुनील सिंह बीजेपी एमएलसी थे और पिछले साल कोविड-19 की वजह से जुलाई में उनकी मौत हो गई थी. ससुर की मौत के बाद स्वर्णा सिंह ने राजनीति में कदम रखा और वीआईपी पार्टी में शामिल हो गईं. गौरा बौराम सीट वीआईपी के कोटे में गया था. स्वर्णा सिंह के परिवार का रिश्ता पिछले कई सालों से बीजेपी से रहा है, मगर सीटों के तालमेल की वजह से वह वीआईपी पार्टी में शामिल हुई थीं और फिर वहां से जीतकर विधायक बनीं.

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2. मिश्री लाल यादव, विधायक अलीनगर

मिश्री लाल यादव वीआईपी पार्टी के विधायक हैं. इन्होंने 2020 विधानसभा चुनाव में अलीनगर विधानसभा से जीत दर्ज की थी. 2015 विधानसभा चुनाव में भी वह आरजेडी उम्मीदवार अब्दुल बारी सिद्दीकी के खिलाफ बीजेपी उम्मीदवार बने थे. उस वक्त वह चुनाव हार गए थे. 2020 में सीटों के तालमेल में अलीनगर सीट क्योंकि वीआईपी कोटे में चली गई थी इसीलिए एनडीए ने उन्हें वीआईपी के टिकट पर उम्मीदवार बनाया और जीत हासिल की.

3. राजू कुमार सिंह, विधायक साहिबगंज

राजू कुमार सिंह पूर्व जेडीयू विधायक रहे हैं. 2015 में उन्होंने जदयू का दामन छोड़कर बीजेपी का हाथ थामा था. 2015 विधानसभा चुनाव में उन्हें मगर जो हार का मुंह देखना पड़ा था. 2020 विधानसभा चुनाव में साहिबगंज सीट वीआईपी के कोटे में चली गई थी. राजू सिंह वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत गए.

टूट सकती है मुकेश सहनी की पार्टी!

मुकेश सहनी के पार्टी के 4 विधायकों में से 3 बीजेपी पृष्ठभूमि के हैं. यही वजह है कि वे बिहार की राजनीति में बीजेपी को आंख तो दिखा सकते हैं लेकिन उसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा सकते हैं. उन्हें भी इस बात का एहसास हमेशा होगा कि अगर बीजेपी या एनडीए के खिलाफ उन्होंने कोई कदम उठाया तो उन्हीं की पार्टी में टूट हो सकती है.
 

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