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बिहारः बागमती की बाढ़ में डूबे गांव, नहीं मिल रही सरकारी मदद, ये हैं हालात

सड़कें जलमग्न होने के कारण लोग आवागमन के लिए पूरी तरह से नाव पर निर्भर हैं. सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाने की नाराजगी भी लोगों में साफ दिख रही है.

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बाढ़ के पानी में डूबा गांव
बाढ़ के पानी में डूबा गांव

  • सड़क पर शरण लेने को मजबूर हैं ग्रामीण
  • नाव ही है गांव में आवागमन का सहारा

बिहार के समस्तीपुर जिले में बागमती नदी उफान पर है. रौद्र रूप दिखा रही बागमती की बाढ़ से कई गांव डूब गए हैं. नदी के जल स्तर में थोड़ी कमी आई है, लेकिन अब भी बागमती खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. घर डूबे होने के कारण बाढ़ पीड़ितों ने मुख्य सड़क पर शरण ली है.

कई गांवों का जिले के अन्य हिस्सों से सड़क संपर्क कट गया है. सड़कें जलमग्न होने के कारण लोग आवागमन के लिए पूरी तरह से नाव पर निर्भर हैं. सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाने की नाराजगी भी लोगों में साफ दिख रही है. बाढ़ पीड़ितों के लिए सरकार की ओर से घोषणाएं तो हो रही हैं, लेकिन ये धरातल तक नहीं उतर पा रही हैं.

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samastipur-1_081720020731.jpgनाव ही है आवागमन का साधन

समस्तीपुर के बाढ़ग्रस्त कल्याणपुर के निवासी मुकेश कुमार ने कहा कि किसानों को पहले बारिश, अब बाढ़ ने बर्बाद कर दिया है. सरकार की तरफ से जो भी घोषणा की जा रही है, वह जमीन पर नहीं पहुंच पा रही है. वहीं, एक अन्य ग्रामीण दीपक कुमार ने कहा कि गांव में बहुत से मकान ध्वस्त भी हो गए हैं. सरकार की ओर से सुनने को बहुत मिल रहा है, लेकिन लाभ नहीं मिल रहा.

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कल्याणपुर प्रखंड के तीरा पंचायत, नामापुर, सोरमार, कलौंजर आदि इलाके बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित हैं. समस्तीपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर कल्याणपुर प्रखंड की मुख्य सड़क से तीरा गांव में जाने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना से बनी सड़क पर बाढ़ का पानी आ गया है. इस सड़क पर गाड़ियों की जगह नाव चल रही है.

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कोरोना की महामारी के बीच बाढ़ की विभीषिका झेल रहे इन गांवों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी है. स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना भी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. बता दें कि बागमती नदी में आई बाढ़ से किसानों की कमर टूट गई है. बाढ़ के पानी में हजारों एकड़ भूभाग पर खड़ी फसल डूब गई है.

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