राहुल गांघी के खिलाफ बिहार के पुराने कांग्रेसी नेता जुबान तो नहीं खोल पा रहे लेकिन इंदिरा गांधी की जयंती के बहाने उन्होंने अपनी ताकत दिखाने की पुरजोर कोशिश की. दरअसल शक्ति प्रदर्शन की ये कोशिश राहुल गांधी कैंप को अपनी ताकत दिखाने की थी जो बिहार में बुजुर्ग कांग्रेसियों को सुनने को तैयार नहीं हैं.
पटना में इंदिरा गांधी के जन्मदिन पर हुए कार्यक्रम में सोनिया और राहुल समर्थकों के बीच बंटी काग्रेस की कलह खुलकर सामने आ गई. पटना के मिलर हाई स्कूल में सदानंद सिंह, मीरा कुमार, निखिल कुमार, संजीव टोनी सरीखे नेताओं ने इंदिरा गांधी के जन्मदिन के बहाने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. प्रदेश कांग्रेस के कार्यक्रम के बजाए इन नेताओं ने मैदान में सभाकर इंदिरा गांधी की जयंती मनाई और सोनिया गांधी को ही अपना नेता करार दिया. कांग्रेस ने भंग की बिहार की सभी समितियां
पूर्व विधानसभा स्पीकर सदानंद सिंह ने कहा, 'सोनिया गांधी हमारी सर्वोच्च और सर्वमान्य नेता हैं और राहुल गांधी तो युवा नेता हैं.' एक तरफ इन पुराने कांग्रेसियों ने अपनी ताकत दिखाई तो दूसरी ओर राहुल गांधी की पसंद माने जाने वाले प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने साफ कर दिया कि ये वो नेता है जो जिनकी नेतृत्व में पिछले तीन दशकों में काग्रेस अर्श से फर्श पर आ गई है. ये लोग अब भी युवाओं के लिए अपनी जगह छोड़ने को तैयार नहीं हैं.
अशोक चौधरी ने कहा, 'ये वहीं लोग हैं जिनकी वजह से पार्टी आज 4 विधायकों पर आ गई है लेकिन ये आज भी युवाओं के लिए जगह छोड़ने को तैयार नहीं है.'
कांग्रेस के प्रदेश दफ्तर सदाकत आश्रम में इंदिरा गांधी के जन्मदिन पर गिनती के कांग्रेसी शामिल हुए जबकि सभी बड़े चेहरे उस मंच पर नजर आए जो राहुल के नए एजेंडे में फिट नहीं बैठते. दरअसल राहुल गांधी की पहल पर बिहार की पूरी इकाई भंग की जा चुकी है सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष के पद राहुल के पसंद अशोक चौधरी अभी बरकरार हैं और काग्रेस के पुराने नेता हर हाल में आगे बनने वाली कमिटियों में अपनी अच्छी दखल चाहते हैं. यही वजह है कि पुराने कांग्रेसी राहुल के एजेंडे से दो-दो हाथ करने में जुटे हैं.