पटना में आर्टिकल 15 फिल्म को शुरू कराने आए पटना कॉलेज के दलित छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है. सभी छात्र रविवार को पटना के मोना सिनेमा हॉल पहुंचे और हंगामा करने लगे. साथ ही आर्टिकल 15 फिल्म को शुरू करने की मांग की. छात्रों के हंगामे को देखते पुलिस मौके पर पहुंची और छात्रों पर लाठियां बरसाईं, जिसके बाद छात्रों ने और हंगामा किया.
दरअसल, दो दिन फिल्म प्रदर्शित होने के बाद उसे रोकने के विरोध में रविवार शाम दलित छात्र संगठन के सदस्य मोना सिनेमा हॉल के बाहर धरना दे रहे थे. पुलिस ने उन्हें वहां से जाने को कहा. लेकिन छात्र फिल्म दिखाने की मांग पर अड़े रहे. छात्रों के नहीं मानने पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें वहां से खदेड़ा.
Bihar: Police lathicharged members of Bhim Sena who were protesting in a Patna theatre demanding the resumption of screening of the movie 'Article 15' which was stopped after the theatre allegedly received threats. (June 30) pic.twitter.com/O7xWRVXGOB
— ANI (@ANI) June 30, 2019
गांधी मैदान स्थित मोना सिनेमा हॉल में हुए इस लाठीचार्ज की घटना में इसवा और भीम आर्मी के अलावा दलित समुदाय के डेढ़ दर्जन छात्र घायल हो गए. वहीं पुलिस और सिनेमा हॉल प्रबंधन की ज्यादती के खिलाफ छात्रों ने गांधी मैदान थाने में आवेदन दिया है.
फिल्म शुरू कराने आए छात्रों का कहना था कि आर्टिकल 15 फिल्म को शुरू कराने के लिए हम लोग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे.लेकिन हम लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है, जिसमें हमारे साथी घायल हो गए. कल सवर्ण आए थे. हॉल बंद करवाये थे. हम लोग पटना कॉलेज के दलित छात्र हैं.
असल में, फिल्म आर्टिकल 15 को लेकर कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. फिल्म के खिलाफ पटना और कानपुर में भी प्रदर्शन हुए हैं. विरोध के कारण इस चर्चित फिल्म का प्रदर्शन पटना में रोक दिया गया है. फिल्म को फिर से शुरू कराने के लिए रविवार को पटना कॉलेज के छात्र मोना सिनेमा हॉल के सामने एकत्रित होकर प्रदर्शन कर रहे थे जिस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
जातिवाद जैसे सामाजिक विषय पर बनीं इस फिल्म का ब्राह्मण समुदाय से लेकर करणी सेना तक काफी समय से विरोध कर रहे हैं. इन संगठनों का कहना है कि फिल्म में ब्राह्मण समुदाय की नकारात्मक छवि दिखाई गई है. हालांकि, फिल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा और अभिनेता आयुष्मान खुराना ने साफ किया है कि इसमें ब्राह्मणों या किसी अन्य जाति की नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश नहीं की गई है. फिल्म बदायूं में चर्चित दुष्कर्म और हत्याकांड पर आधारित है.