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अररिया लोकसभा सीट से जुड़ी है नीतीश की साख तो तेजस्वी का भविष्य

2014 लोकसभा चुनाव में अररिया सीट पर आरजेडी ने फतह हासिल की थी और पार्टी के सांसद तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को हराया था. पिछले साल तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी जिस पर उपचुनाव कराए गए.

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तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार
तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार

11 मार्च को अररिया लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे आज आने वाले हैं और दिलचस्प बात यह है कि उपचुनाव के नतीजों पर एक तरफ जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साख दांव पर लगी है तो वहीं दूसरी तरफ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का भविष्य.

2014 लोकसभा चुनाव में अररिया सीट पर आरजेडी ने फतह हासिल की थी और पार्टी के सांसद तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह को हराया था. पिछले साल तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी जिस पर उपचुनाव कराए गए.

गौरतलब है कि, 2014 के लोकसभा चुनाव में अररिया लोकसभा सीट में आरजेडी का सीधा मुकाबला बीजेपी से था जिसमें 8 जिलों पर जीत हुई थी लेकिन 11 मार्च को हुए उपचुनाव में आरजेडी का मुकाबला केवल बीजेपी उम्मीदवार से नहीं बल्कि बीजेपी- जेडीयू गठबंधन के साझा उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह से हुआ.

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इन चुनावों के नतीजे इस ओर इशारा करेंगे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ एक बार फिर से वापस आ जाने से अररिया लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी कोई कमाल कर पाते हैं? जाहिर सी बात है, पिछले साल महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार के लिए यह पहली चुनावी परीक्षा है और चुनाव के नतीजे मुख्यमंत्री के लिए साख का सवाल है.

वहीं दूसरी तरफ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य के लिए भी अररिया लोकसभा सीट पर जीत बेहद जरूरी है. यह सीट अब तब तक आरजेडी के पास थी और ऐसे में तेजस्वी यादव ने पुरजोर कोशिश की ताकि इस सीट पर आरजेडी की जीत हो. बता दें कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी में यह तेजस्वी यादव की पहली चुनावी परीक्षा है.

लालू प्रसाद चारा घोटाले के मामले में रांची के जेल में सजा काट रहे हैं. अररिया लोकसभा सीट पर तेजस्वी ने काफी प्रचार किया है ताकि यहां से तस्लीमुद्दीन के बेटे और सरफराज आलम की जीत सुनिश्चित की जा सके. अगर आरजेडी प्रत्याशी सरफराज आलम की अररिया लोकसभा सीट से जीत होती है तो यह जीत कहीं ना कहीं तेजस्वी यादव के लिए भी राजनीतिक तौर पर बड़ी जीत होगी और उनका भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा.

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