हालांकि, राजद और तेजस्वी पर बयानबाजियों के बाद उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी ने जीतनराम मांझी का साथ छोड़ दिया है पर हर चुनावों से पहले राजद पर क्यों हमलावर होते हैं मांझी, सहनी और कुशवाहा?
जहां एक तरफ छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और अब दिल्ली, एक के बाद एक सात राज्यों को हारने के बाद भाजपा को चुनाव प्रचार की रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत साफ दिखाई दे रही है वहीं इन चुनाव नतीजों ने अरविंद केजरीवाल का कद और बड़ा कर दिया. जहां ममता बनर्जी, तेलंगाना के केसीआर जैसे नेता मोदी की आंधी की चपेट में आ गए वहीं केजरीवाल ने अपनी दिल्ली में भाजपा को कह सकते हैं, फटकने नहीं दिया.
2020 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने 2015 के आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन को लगभग दोहरा दिया है तो इसकी ठोस वजहें, बड़े मायने हैं. साथ ही भविष्य की राजनीति के कुछ संकेत भी पकड़े जा सकते हैं. ये वैकल्पिक राजनीति का वास्ता देकर राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल और उनकी प्रयोग की राजनीति की सफलता का दस्तावेज हैं.
विभिन्न एजेंसिंयों के एक्जिट पोल में आम आदमी पार्टी के मुकाबले भाजपा या कांग्रेस दूर-दूर तक नहीं है. वोटिंग के ट्रेंड से यही अंदाजा लग रहा है कि भाजपा अपने मजबूत गढ़ में भी वोट बटोरने से चूक गई है
दिल्ली के चुनाव सिर पर आ चुके हैं प्रचार तेजी से हो रहा है लेकिन एक मुद्दा प्रचार से पूरी तरह गायब है और वह है पूर्ण राज्य के दर्जे का मसला. जब भाजपा दिल्ली और केंद्र की सत्ता से बाहर थी तब तक वह पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग करती रही लेकिन केंद्र में सत्ता हासिल करने के बाद उसने इस मुद्दे को छोड़ दिया है.