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Delhi-NCR में पटाखे बैन हुए तो चलाई पोटाश गन, छह ने गंवाई आंखें, कई हुए दिव्यांग

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर मानते हैं कि पोटाश गन से होने वाली मौतें बहुत दर्दनाक होती हैं. ये गन इतनी खतरनाक हैं कि इसमें घायल मरीज की जान बचने के बाद भी उसे दिव्यांगता का दंश झेलना पड़ता है.

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प्रतीकात्मक फोटो ( AI Generated Image)
प्रतीकात्मक फोटो ( AI Generated Image)

केस 1: एम्स की इमरजेंसी में भर्ती हुआ एक 14 साल का लड़का अब कभी नहीं देख पाएगा. दिवाली से ठीक एक दिन पहले वो अपने दोस्त के घर यह कहकर गया था कि मिलकर जल्दी आ जाएगा.उसके दोस्त और उसने दोनों ने एक ऑनलाइन वेबसाइट से पोटाश गन मंगवाई थी. वो दोनों इसे चलाकर त्योहार मनाने का प्लान कर चुके थे. बैन के कारण इस साल पटाखे नहीं खरीद सके थे. दोनों रील बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना चाहते थे. दोस्त के यहां पहुंचकर जैसे पोटाश गन से धमाका किया. उस गन की धातु की पाइप फट गई और बच्चे के चेहरे पर गंभीर जलन होने लगी. वो चीखने-च‍िल्लाने लगा. उसकी दोनों आंखों में केम‍िकल के कारण बहुत क्षति पहुंची थी, परिजनों को एम्स रेफर कर दिया गया, यहां इलाज के बाद डॉक्टरों ने एक आंख बचा ली है, लेकिन दूसरे आंख की रोशनी हमेशा के लिए चली गई. 

केस 2: दूसरा केस हरियाणा के ग्रामीण इलाके के एक 24 वर्षीय युवक का है. वो दिवाली की रात पोटाश गन का चलाने की तैयारी कर रहा था, उसमें केमिकल लोड कर रहा था, चूंकि इसके केम‍िकल बहुत ज्वलनशील और खतरनाक होते हैं, इसलिए अचानक विस्फोट हो गया. विस्फोट में उस युवक का चेहरा बुरी तरह जल गया और उसकी आंखों में भी गंभीर केमिकल इंजरी हो गई. इतने दिन के इलाज के बाद भी उसकी दोनों आंखों में बहुत कम दिखाई देता है, शायद अब उसकी दोनों आंखों से जीवन भर के लिए बहुत कम दिखाई देगा. 

एम्स इमरजेंसी पहुंचे ये वो केस थे जिन्होंने खुशी मनाने के चक्कर में पोटाश गन चलाई और जिंदगी भर का गम उनके हिस्से ल‍िख गया. हमारे देश में त्योहारों या खुशी के मौकों पर युवाओं में पटाखे और आतिशबाजी का शोर करने का अलग ही क्रेज है. लेकिन, दिल्ली-NCR में प्रदूषण के कारण लगे पटाखों पर बैन के बाद इसकी जगह लेने वाले पोटाश गन ने द‍िवाली के समय बहुत तबाही मचाई. इस पोटाश गन से धमाका भले ही पटाखों जैसा होता हो, लेकिन इसने कई घरों की खुश‍ियां छीन ली हैं. एम्स के डॉक्टर से जानिए- कैसे पोटाश गन बन रही जानलेवा? 

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर मानते हैं कि पोटाश गन से होने वाली मौतें बहुत दर्दनाक होती हैं. ये गन इतनी खतरनाक हैं कि इसमें घायल मरीज की जान बचने के बाद भी उसे दिव्यांगता का दंश झेलना पड़ता है. इस साल दिवाली में बहुत से लोगों ने दिल्ली ही नहीं आसपास से सटे इलाकों जैसे नोएडा, गाजियाबाद, पलवल, मेवात, हापुड और ग्रेटर नोएडा में इस गन का खूब इस्तेमाल किया. इसकी गवाही एम्स की इमरजेंसी में आए कई मरीज करते हैं. 

एम्स के नेत्र रोग व‍िशेषज्ञ डॉ ब्रजेश लहरी बताते हैं कि इस साल दीवाली की रात एम्स इमरजेंसी में पोटाश गन हादसे के श‍िकार 10 मरीज गंभीर हालत में पहुंचे थे. इन 10 में 6 मरीजों को बायलेटरल ब्लाइंडनेस यानी द्विपक्षीय अंधापन हो गया. सीधी और आसान भाषा में कहें तो दस में से छह लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई. इनमें से चार को अनलेटरल ब्लाइंडनेस (एकल पक्षीय अंधापन) हुआ, जिसे एक तरफा अंधापन कहते हैं. इस गन के फटने से इनमें से दो लोगों के हाथों की कलाई करीब करीब नष्ट हो गई. 

इमरजेंसी में आए ये केस इतने भयावह थे कि इनके चेहरे और शरीर पूरी तरह से जले हुए थे. इलाज में जुटी डॉक्टरों की टीम का कहना है कि बर्न के अभी तक ऐसे लहूलुहान और विकृत मामले नहीं देखे थे.इनकी हालत इतनी खराब थी कि डॉक्टर भी अचंभ‍ित थे. पोटाश गन से इनके शरीर के क‍िसी एक अंग को हमेशा के लिए नष्ट कर दिया था. इन सभी मरीजों के पर‍िजनों ने पोटाश गन के इस्तेमाल की पुष्टि‍ की थी. 

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चली गई आंखों की रोशनी 

डॉ ब्रजेश लहरी ने बताया कि पहली बार उन्होंने किसी मामले में 100 फीसदी आंखों की रोशनी खत्म होने की स्थिति देखी. 100 फीसदी अंधापन देने वाली यह घटनाएं सामान्य नहीं हो सकतीं.  वो कहते हैं कि पोटाश गन को पूरी तरह बैन कर देना चाहिए. इसको लेकर लोगों को जागरुक करने की भी जरूरत है. 

ऑनलाइन भी बिक रहे पोटाश गन 
आपको बता दें कि ऑनलाइन वेबसाइट पर भी पोटाश गन, कृष‍ि आग पटाखा आद‍ि नामों से बिक रहे हैं. 700 से 1300 की कीमत पर इसे कोई भी ऑर्डर कर सकता है. इस पर भी प्रतिबंध लगाने की जरूरत है. बता दें कि साल 2024 में दिवाली से पहले दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने एक जनवरी 2025 तक पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था.  इससे पटाखों की कीमतें भी बढ़ी थीं. 

क्या होती है पोटाश गन 
एक लोहे की रॉड को बंदूकनुमा आकृति में बनाया जाता है. इसके आयरन पाइप में गंधक और पोटाश का मिश्रित पाउडर भरकर विस्फोट किया जाता है. असल में यह खेतों की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी. तेज आावज की ध्वनि बंदूक से जंगली पशु-पक्षियों को डराने में इसका इस्तेमाल होता रहा है. इसमें पाइप की क्वालिटी तय न होने से अक्सर व‍िस्फोट के समय पाइप फटने से बड़ी दुघर्टना हो जाती है. बीते साल जोधपुर एम्स के डॉक्टरों ने स्टडी में पाया कि सल्फर पाउडर में सल्फ्यूरिक एसिड होता है जो पोटेशियम क्लोरेट के साथ प्रतिक्रिया कर अत्यधिक प्रतिक्रियाशील विस्फोटक पदार्थ बनाता है.

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